नेहरू ने चीन के कारण सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यता गवायी !

1950 के दशक के मध्य में शीतयुद्ध के कारण जब चीन और अमेरिका का वैचारिक विरोध किया था। अमेरिका ने भारत के लिए सुरक्षा परिषद् में स्थायी सीट का प्रस्ताव किया था।



अमेरिका नहीं चाहता था कि सुरक्षा परिषद् में साम्यवादी वर्चस्व कायम हो। इसलिए चीन के जगह भारत को सुरक्षा परिषद् की स्थायी सीट का प्रस्ताव दिया था। अमेरिका की सोच थी कि ऐसा करके वह भारत को अपने पक्ष में कर सकेगा। भारत तथा चीन के बीच गतिरोध भी बना रहेगा।


लेकिन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने चीन की मित्रता और एशियाई एकता की कीमत पर अमेरिका का यह प्रस्ताव मानने से मना कर दिया।

जिसके कारण भारत ने सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य होने का मौका गंवा दिया।

क्या है सुरक्षा परिषद् ?

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 24 अक्टूबर 1945 में की गई थी। संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्य इसके चार्टर में तय किए गए हैं। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना और राष्ट्रों के बीच मित्रतापूर्ण संबधों को बढ़ावा देना है।


भारत, संयुक्त राष्ट्र के उन प्रारंभिक सदस्यों में शामिल था जिन्होंने 1 जनवरी ,1942 को वाशिंग्टन में संयुक्त राष्ट्र घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे।


संयुक्त राष्ट्र ने 6 भाषाओं को " राज भाषा " स्वीकार किया। अरबी,चीनी,अंग्रेजी, फ्रांसीसी, रूस और स्पेनी लेकिन इनमें से बस दो भाषाओं को संचालन भाषा माना जाता है ( अंग्रेजी और  फ्रांसीसी)।


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