अर्जुन की मृत्यु कितनी बार हुई थी ?

1) अपने पुत्र बभ्रूवाहन के हाथों अर्जुन की मृत्यु

अर्जुन की पत्नि चित्रांगदा का पुत्र बभ्रूवाहन " मणिपुर " का राजा था। जब अर्जुन मणिपुर पहुंचे और इस बात का पता उनके पुुुत्र बभ्रूवाहन को चला तो वे नगर के बाहर अपने पिता से मिलने आये।

उस समय अर्जुन ने कहा - मैं महाराज युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े की रक्षा के लिए साथ आया हूं, क्षत्रिय होने के नाते तुम्हें मुझसे युद्ध करना चाहिए न कि मेरा स्वागत करना चाहिए।



चित्रांगदा ने अपने पुत्र का अपमान होते देखा तो, वह वहां पहुंची और उसने अपने पुत्र को युद्ध करने को कहा। मां की आज्ञा पाकर बभ्रूवाहन अर्जुन से युद्ध करने के लिए तैयार हो गया। दोनों में भयंकर युद्ध हुआ और बभ्रूवाहन के हाथों अर्जुन की मृत्यु हो गई।


ऐसी स्थिति में नागकन्या उलूपी ने संजीवनी मणि का स्मरण किया और संजीवनी मणि उनके सामने प्रकट हो गई। इस मणि को अर्जुन की छाती पर रखते ही वो जीवित हो गये और अपनी पत्नी और पुत्र से मिलकर आगे बढ़ गये।



2) यक्ष के कारण अर्जुन की मृत्यु

जब पांडव द्वैतवन में रहने लगें। तब एक दिन सभी पांडव भाई प्यास से व्याकुल थे। युधिष्ठिर ने पानी लाने के लिए एक के बाद एक नकुल ,सहदेव , अर्जुन और फिर भीम को भेजा।



वे सभी एक जलाशय के पास गए वहां जाने पर एक यक्ष ने उनसे कहा कि यदि तुम इस पानी को पीना और ले जाना चाहते हो तो, तुम्हें मेरे कुछ प्रश्नों के उत्तर देने होंगे। बिना प्रश्नों के उत्तर दिये हुए जो भी इस पानी को पियेगा उसकी मृत्यु हो जायेगी।


इसके बाद भी सब ने पानी पिया और  पहले नकुल ,सहदेव , अर्जुन और फिर भीम की मृत्यु हो गई। फिर जब युधिष्ठिर ने यक्ष के प्रश्नों का उत्तर दिया तब सभी भाई जीवित हो गए।


3) महाप्रस्थान की यात्रा में अर्जुन की मृत्यु

द्वारिका नगरी के समुद्र में समाहित होने के बाद युधिष्ठिर ,अपने भाइयों भीम, अर्जुन, नकुल,सहदेव और द्रौपदी के साथ महाप्रस्थान के लिए चले गए। पश्चिम से उत्तर दिशा में हिमालय का दर्शन किया।


हिमालय पर्वत को लांघकर जब वे आगे बढ़े तो उन्हें बालू का समुद्र दिखायी दिया। फिर उन्होंने सुमेरु पर्वत का दर्शन किया।


इसी यात्रा के दौरान सबसे पहले द्रौपदी फिर सहदेव और उसके बाद नकुल की मृत्यु हुई। इन सबकी मृत्यु को देखकर अर्जुन बहुत दुखी हुये और इसी कारण वह भी स्वर्ग सिधार गए।

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