कैलाश पर्वत पर चढ़ना क्यों मुमकिन नहीं है ?
कैलाश पर्वत की ऊंचाई 6638 मीटर है कैलाश पर्वत का स्लोप (कोण) 65 डिग्री से भी ज्यादा होने के कारण इस पर चढ़ाई करना मुश्किल है।
जबकि माउंट एवरेस्ट का स्लोप 40 - 60 तक है। यह भी एक कारण है जिसकी वजह से पर्वतारोही कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाते हैं।
कैलाश पर्वत पर रिसर्च करने वाले एक अंग्रेज अफसर ह्यू रतलिज और कर्नल विल्सन ने कैलाश पर्वत पर पर्वतारोहण को बिल्कुल असंभव बताया।
ह्यू रतलिज
ह्यू रतलिज के ने 1926 में अपनी डायरी में लिखा था।
कर्नल आर. सी. विल्सन पर्वतारोही
जैसे ही मुझे लगा कि मैं एक सीधे रास्ते से कैलाश पर्वत पर चढ़ सकता हूं, भयानक बर्फबारी ने रास्ता रोक दिया और चढ़ाई को असंभव बना दिया।
कर्नल विल्सन
कुछ पर्वतारोही जिन्होंने कैलाश पर्वत पर चढ़ने का प्रयास किया है उनका कहना कुछ इस प्रकार है -
सरगे सिस्टियाकोव, रूसी पर्वतारोही (2007)
जब मैं पर्वत के बिल्कुल पास पहुंच गया , मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा। मैं उस पर्वत के बिल्कुल सामने था। जिस पर आजतक कोई नहीं चढ़ सका! अचानक मुझे बहुत कमजोरी सी महसूस होने लगी और मुझे ये ख्याल तेजी से जकड़ने लगा कि मुझे यहां अब और नहीं रुकना चाहिए। जैसे जैसे मैं हम नीचे आते गया मन हल्का होता गया।
1936 में एक हर्बट टिचे , ऑस्ट्रियन पर्वतारोही ने
एक तिब्बत के धर्मगुरु से पूछा कि क्या कैलाश पर्वत पर चढ़ा जा सकता है?
तो उन्होंने जवाब दिया कि "जो इंसान पूरी तरह पाप मुक्त हो वही कैलाश पर्वत पर चढ़ सकता है और ऐसा करने के लिए उसे बर्फ के दीवारों के रास्ते नहीं जाना पड़ेगा। बल्कि वह पक्षी की तरह उड़कर सीधे पर्वत शिखर पर जा सकता है।




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