कैलाश मानसरोवर से जुड़ी कुछ खास बातें ! भाग - 2


16) जैन धर्म में कैलाश पर्वत को अष्टपद कहते है और ऐसा माना जाता है कि जैन धर्म के गुरु ऋषभ देव जी को यहीं पर ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।


17) कैलाश पर्वत का चक्कर लगाने को बौद्ध और जैन धर्म में खोरा और हिन्दू धर्म में परिक्रमा कहते है।


18) ऐसा माना जाता है कि 12 बार परिक्रमा करने से इस जन्म के सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है और 108 बार परिक्रमा कर लेने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।


19) पांडवों के दिग्विजय प्रयास के समय अर्जुन ने इस प्रदेश पर विजय हासिल की थी।
युधिष्ठिर के राजसूयी यज्ञ में इस प्रदेश के राजा ने उत्तम घोड़े, सोना, रत्न और याक के पूँछ के बने काले और सफेद चामर भेंट किए थे। इस प्रदेश की यात्रा व्यास, भीम, कृष्ण, दत्तात्रेय आदि ने की थी।


20) कैलाश मानसरोवर झील की ऊंचाई समुद्री तट से 14,850 फुट पर है, इसकी बाहरी परिधि 85 किलोमीटर है। 
इसकी अधिकतम गहराई लगभग 300 फीट है और ये करीब 200 वर्ग मील क्षेत्र को घेरती है।


21) यहां एक राक्षस ताल है जो करीब 225 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। रावण ने यहां पर शिव की आराधना की थी। इसलिए इसे राक्षस ताल या रावण ताल भी कहते हैं।

एक छोटी नदी गंगा-चू दोनों झीलों को जोड़ती है। इस ताल में पूजा-पाठ और स्नान वर्जित है। इस झील का रंग भी काला है और इसका पानी खारा है।


22) यहां यम द्वार तिब्बत के गांव दारचेन से 15 किलोमीटर की दूरी पर करीब 15,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह प्रवेश द्वार कैलाश पर्वत के रास्ते में पड़ता है।


23) यमद्वार नामक जगह पर यमराज ने युधिष्ठिर के लिए वायुयान भेजा था और स्वयं यमराज स्वान (कुत्ता) के रूप में यमद्वार तक उनके साथ रहे थे।


24) जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभ देव जी ने यही पर निर्वाण की प्राप्ति की थी।


25) यहां मानसरोवर झील भी है जिसका पानी मीठा है और ऐसी मान्यता है कि इस झील के तल में कल्प वृक्ष नामक एक पेड़ है जो मनुष्य को सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाता है।


26) कैलाश पर्वत के पास समय बहुत ही तेज़ी से बीतता है। कई शोधकर्ताओं के अनुसार, वहां का समय लगभग 12 दिन तेजी से चलता है।
क्योंकि उनके मुताबिक 10 से 12 दिन में एक इंसान के बाल और नाखून जितने बढ़ते है ,वहां उतने ही बाल और नाखून सिर्फ एक दिन में बढ़ जाते है।

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