आजादी से पहले कैसे थे भारत और चीन के संबंध ?
1) आजादी से पहले भारत और चीन संबंध
भारत और चीन के बीच प्रत्यक्ष संबंध 1927 में हुआ, पददलित राष्ट्रों के ब्रुसेल्स सम्मेलन में हुआ।
इस सम्मेलन में भारतीय और चीन प्रतिनिधियों की संयुक्त बयान निकला गया था जिसमें कहा गया था कि
" पश्चिमी साम्राज्यवाद से एशिया की मुक्ति के लिए भारत और चीन का सहयोग बहुत जरूरी है।"
इसी बयान में चीन ने ब्रिटिश शासकों द्वारा भारतीय सेनाओं के प्रयोग की निन्दा भी की।
चीन के प्रति भारत को अपार सहानुभूति थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कई प्रस्तावों को स्वीकार करके चीन के प्रति ब्रिटिश नीति की आलोचना की।
2) चीन दिवस और भारत
1931 में जब जापान द्वारा मचुरिया पर आक्रमण किया गया तो चीन के प्रति सहानुभूति दिखाने के लिए "चीन दिवस" मनाया गया और भारत में जापानी वस्तुओं के बहिष्कार का आंदोलन भी चलाया गया।
जब 1937 में चीन - जापान युद्ध शुरू हुआ तो भारत ने फिर से चीन के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाई।
3) नेहरू जी का चंदा चीन के लिए
1937 में ही मार्शल झू - डी के अनुरोध पर नेहरू ने चंदा एकत्र करके भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से डॉ.कोटनीस और डॉ. अटल के नेतृत्व में एक " चिकित्सा - मिशन " चीन को भेजा।
यह चिकित्सा दल अपनी निस्वार्थ सेवा के लिए चीनी लोगों में काफी प्रसिद्ध रहा। इस दल की खास बात यह है कि यह ऐसे देश के द्वारा भेजा गया था जो खुद विदेशी शासन से मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहा था।
4) "भारत चीनी " समाज को गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर का पत्र
1934 में "भारत चीनी " समाज को लिखे गए एक पत्र में गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने लिखा
" आज हमारा यह कर्तव्य है कि हम प्राचीन तीर्थयात्रियों द्वारा बनाई गई उस ऐतिहासिक भावना को पुनर्जीवित करें। जो न केवल एक भौगोलिक रास्ता है बल्कि जाति, धर्म और भाषा संबंधी कठिन बाधाओं को पार कर बनाई गयी आध्यात्मिक भावना है जिसमें मानव मात्र के लिए प्रेम और सहयोग का विचार निहित है।"
5) नेहरू जी की चीन यात्रा
अगस्त 1939 में जब नेहरू चीन गये तो उन्होंने बड़े जोरदार ढंग से भारत - चीन संबंधों को " अनश्वर संबंध" बताया जो कि भारत के लोगों को घनिष्ट रूप से बांधे हुए है।
नेहरू अपने भाषणों में " भारत और चीन के पूर्वी संघ " की भी चर्चा किया करते थे।
6) सर्वपल्ली राधाकृष्णन और रविन्द्र नाथ टैगोर की चीन यात्रा
मई 1941 में जब सर्वपल्ली राधाकृष्णन चीन यात्रा पर गये ,तो उन्होंने भारत - चीन संबंधों को राजनीतिक धरातल पर दो पड़ोसी राज्यों की मिसाल के रूप में बताया।


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