कैलाश मानसरोवर से जुड़ी कुछ खास बातें ! भाग - 1

 


1) कैलाश पर्वत एक काले पत्थर की चट्टान है। इसकी ऊंचाई 22 हजार फुट या 6638 मीटर  है।


2) कैलाश पर्वत की ऊंचाई माउंट एवरेस्ट से कम है फिर भी आज तक कोई भी इस पर नहीं चढ़ सका है। ऐसा कहा जाता है कि एक बौद्ध गुरु मिलारेपा एक ऐसे अकेले व्यक्ति थे जिन्होंने कैलाश पर्वत पर चढ़ने में कामयाबी हासिल की थी।


3) कैलाश पर्वत जैन ,बौद्ध और हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है।


4) ध्‍यान से सुनने पर यहां डमरू और ऊं की ध्‍वनि सुनाई देती है। इस ध्‍वनि का स्रोत आज तक कोई नहीं जान पाया है।


5) रसिया के वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार कैलाश पर्वत मानव द्वारा निर्मित पर्वत है जो कई आस - पास बने पिरामिडों का मुख्य केंद्र है। इनकी संख्या 100 के करीब मानी गई है।


6) कैलाश पर्वत के सामने वाले चार भाग सोना ,रूबी , नीले रंग के पत्थरों और स्फटिक से बने है।


7) यहां दिशा सूचक (कंपास) काम नहीं करता है। ऐसा माना जाता है कि यहां चारो दिशायें मिलती है।


8) यहां से चार नदियों का उदगम होता है। सतलज, सिंधु , घाघरा और ब्रह्मपुत्र नदी है। ये नदियां कैलाश पर्वत के चार अलग - अलग भागों से आती है।

9) ऐसी मान्यता है कि सबसे पहले यहां राजा मान्धाता आए थे और यहां तपस्या भी की थी।


10) कैलाश पर्वत कमल के फूल के समान 6 पर्वत मालाओं के हृदय में स्थित है।


11) भगवत गीता में कैलाश पर्वत को मेरु पर्वत भी कहा गया है। जो ब्रह्मांड की धुरी है।

12) यहां गुरुनानक जी ने भी ध्यान लगाया था।


13) शिव पुराण के अनुसार कैलाश पर्वत वहीं जगह है जहां भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने गंगा जी को अपनी जटाओं में धारण किया था।


14) कहा जाता है कि यहां देवी सती के शरीर का दांया हाथ गिरा था। इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा जाता है।


15) बौद्ध धर्म के लोग इस जगह को कांग रिनपोचे के नाम से जानते है। बौद्ध धर्म में बोन नाम के धर्म का पालन करते है,वो इस जगह को पाइसे कहते है। उनका मानना है कि यह जगह आकाश की देवी साईपाईमेन का सिंहासन है। 


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