कुन्ती की मृत्यु कैसे हुईं ?
महाभारत युद्ध के बाद 15 वर्षों तक महल में निवास करने के बाद गांधारी, कुंती, धृतराष्ट्र और संजय वन में चले गए।
फिर वहां से वे सभी "हरद्वार " चले गए। वन में गांधारी, कुंती, धृतराष्ट्र और संजय के निवास करने के दो वर्षों के बाद,एक दिन नारद जी युधिष्ठिर के पास पहुंचे और बताया की -
वन में पहुंचकर धृतराष्ट्र ने घोर तपस्या आरंभ कर दी। वे मुंह में पत्थर का टुकड़ा दबाकर वायु का आहार करते और मौन रहते।
गांधारी केवल पानी पीकर रहने लगी, कुंती एक महीने के उपवास के बाद केवल एक दिन भोजन करती थी और संजय दो दिन उपवास करके तीसरे दिन शाम के समय ही खाना खाते थे।
एक दिन गांधारी, कुंती, धृतराष्ट्र और संजय गंगा नदी में स्नान करके लौट रहे थे तभी अचानक से जंगल में आग लग गई, अत्यधिक तप और उपवास के कारण सभी बहुत दुर्बल हो गए थे इसलिए वे वहां से भागने में असमर्थ थे।
धृतराष्ट्र ने संजय से कहा कि तुम किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाओ। परंतु संजय सबको साथ लेकर जाना चाहते थे,तब धृतराष्ट्र ने कहा कि अब हम यही रहेंगे और उसी प्रकार अपने प्राण त्याग देंगे।
तब संजय वहां से चले गए और उसी आग में जलकर गांधारी, कुंती और धृतराष्ट्र की मृत्यु हो गई।
सभी की मृत्यु के बारे में जानकर युधिष्ठिर ने दुःखी मन से सभी का विधि पूर्वक श्राद्ध कर्म किया।

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