समुद्रगुप्त के तीसरे प्रकार के सिक्के !

तीसरे प्रकार के एक ओर ध्वजा के बदले में परशु लिए राजा की मूर्ति और दाहिनी ओर एक बालक की मूर्ति है। पहले सिक्कों की तरह अक्षर के नीचे अक्षर लिखकर राजा का नाम खुदा है। मूर्ति के चारों ओर पृथ्वी छंद में कृतांत परशुर्जयत्यजित राज जेता जित: लिखा है।

पीछे के भाग में नालयुक्त कमल लिए सिंहासन पर बैठी लक्ष्मी (देवी) की मूर्ति है। उनकी दाहिनी ओर कृतांत परशु: , लिखा है। 

भरतपुर के बयाना देर में इस प्रकार के कई सिक्के मिले है, जिसमें समुद्र या पदवी का केवल प्रथम अक्षर कृ लिखा मिलता है।

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