हुण वंश के सिक्के ! भाग -2

"तोरमाण " के कुछ ऐसे भी सिक्के मिले है जिन पर "शाही जुबुल " लिखा है। ये सिक्के एफथलाइट चिन्ह के कारण ही हुण सिक्के कहे जाते है। लेकिन भारत में आने के कारण उन्होंने पहलवी भाषा के बदले में ब्राह्मी लिपि और संस्कृत भाषा का प्रयोग किया। 


मध्य भारत में उन्होंने चांदी और तांबे के सिक्के गुप्त शैली का अनुकरण कर तैयार किया गया था। 


"तोरमाण " के चांदी के इस ढंग के सिक्के मिलते है जिन पर आगे के ओर राजा का सिर, तिथि और गुप्त लिपि में " वजिता वनिरवनिपति: श्री तोरमाण लिखा है और पीछे के भाग पर पंखयुक्त मोर की आकृति है।


यह सिक्का मध्य भारत शैली के गुप्त सिक्को का अनुकरण है। इसी सिक्के पर हुण सरदार के "तोरमाण " का नाम लिखा मिलता है। 

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