समुद्रगुप्त के दूसरे प्रकार के सिक्के !

 दूसरे प्रकार के सिक्के में भी आगे के भाग में धनुष बाण धारण किए राजा की मूर्ति और गरुण ध्वज दिखलाया गया है। बाएं हाथ के नीचे राजा का नाम और मूर्ति के चारों ओर गुप्त में " अप्रतिरथो विजिस्य क्षिति सुचरितै: दिवं जयति" लिखा है।


पीछे के भाग में सिंहासन पर बैठी हुई लक्ष्मी की मूर्ति तथा अप्रतिरथ: मिलता है।

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