प्राचीन काल में सिक्कों का नाम क्या - क्या था ? भाग - 3

1) इलावृहदारण्यक उपनिषद् में याज्ञवल्क्य ऋषि को दान देते समय ' पाद ' का नाम आता है कि ' पाद ' सिक्के का नाम था। यह नाम पाणिनि के समय तक व्यवहार में खाया जाता था। पाणिनि किसी वस्तु को एक शतमान में खरीदने पर " शतमानम्" का नाम देते है।


2) सुवर्ण और शतमान सिक्कों के चौथाई (पाद = , पाव) भाग को पाद का नाम दिया था। विनिय पिठक में इसका प्रमाण मिलता है कि - पंचमासको पादो होति - पांच मासे को पाद कहते है,(उस समय शतमान बीस मासे का माना जाता था)।


3) ईसा पूर्व 8 सौ वर्ष में लिखित तैतरीय संहिता के आधार पर कृष्णनल (बीज, रत्ती के नाम से प्रसिद्ध) को नियमित तौल माना था और उसी के प्रमाण पर आज तक सोने चांदी आदि धातुओं के तौलने के लिए रत्ती का प्रयोग किया जाता है।

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