समुद्रगुप्त के छठे प्रकार के सिक्के !

छठे प्रकार का अश्वमेध वाला सिक्का है जो अश्वमेध यज्ञ के स्मारक में तैयार किया गया था। समुद्र ने अन्य प्रांतों पर दिग्विजय कर इसे तैयार कराया। प्रयाग की प्रशस्ति में इस दिग्विजय का विस्तृत विवरण पाया जाता है।


इसमें अग्र भाग में पताका के साथ यज्ञ यूप में बंधे अश्वमेध घोड़े की मूर्ति है। वहां गोल दायरे में उपगिती छंद में "राजाधिराज पृथ्वि विजित्वा दिवं जयत्या हुत वाजिमेध " लिखा हुआ है।


पीछे के भाग में हाथ में चंवर लिए प्रधान महिषी की मूर्ति है। महिषी के पीछे " अश्वमेध पराक्रम: " लिखा मिलता है।

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