हुण वंश के सिक्के ! भाग -3

1) तोरमाण के पुत्र मिहिर ने भी इन्हीं शैली के सिक्के प्रचलित किए, लेकिन उसके सिक्के तांबे के है।

 शसैनियन ढंग के सिक्के सबसे छोटे है और उन पर आगे के भाग पर वैसी ही पगड़ी और सिर है। पीछे के भाग पर अग्नि कुण्ड (यज्ञ देवी) तथा रक्षक दिखाई पड़ता है।


2) इनके दूसरे सिक्के भी मिले है जो शसैनियन ढंग के बने है लेकिन आगे के भाग पर " श्री मिहिर: " लिखा है और पीछे के भाग पर अग्नि कुण्ड के बदले में नंदी की मूर्ति है। 

उसके ऊपरी भाग में और नीचे "जयतु वृष " लिखा है।


3) पेशावर के प्रांत में मिहिर के जो सिक्के मिले है वह सब कुषाणों के अनुकरण पर तैयार किया गया थे। 

जिसके आगे के भाग पर राजा की खड़ी मूर्ति और "शाही मिहिर कुल " लिखा है और पीछे के भाग पर सिंहासन पर लक्ष्मी की मूर्ति है।


4) मिहिर के तीसरे प्रकार के सिक्के सब से बड़े आकार के है। ये भी उत्तरी पश्चिमी प्रांत में मिलते है। जिसके आगे के भाग पर घोड़े पर सवार राजा की मूर्ति और पिछले भाग में मिहिर कुल का नाम अंकित है। पृष्ठ भाग पर लक्ष्मी जी की मूर्ति है। 

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