समुद्रगुप्त के पांचवे प्रकार के सिक्के !

 पांचवा सिक्का राजा के संगीत से प्रेम की घोषणा करता है। राजा आगे के भाग की ओर खाट पर बैठा है। हाथ में वीणा लिए हुए राजा की मूर्ति उसके चारों ओर महाराजाधिराज भी समुद्र गुप्त: लिखा है।


यह वीणा वाला सिक्का कहा जाता है। इसमें किसी प्रकार का अनुकरण नहीं है। यह सर्वथा भारतीय ढंग का सिक्का है केवल इसकी तौल 115 ग्रेन है जो रोम की तौल के करीब बराबर है। भरतपुर देर में इस प्रकार के छोटे और बड़े कई सिक्के मिले है जो संगीत प्रेम की व्यापकता को सिद्ध करता है।

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