प्राचीन काल में सिक्कों का नाम क्या - क्या था ? भाग - 2

7) आठवां भाग वाले सिक्कों को " काकिनी" कहते थे। इस तौल के सिक्के कम संख्या के तैयार किए जाते थे लेकिन उनके बराबर " काकिनी" तथा अर्द्धकाकिनी का प्रचार था।

कौड़ी के चलन के कारण ऐसे छोटे तौल के सिक्के कम संख्या में तैयार किए जाते थे।

8) तांबे के सिक्के को कर्षापण कहे जाते थे वही पाली भाषा में जातक और पिटक ग्रन्थों में कहापन के नाम से विख्यात हुए। 


9) भारत में यूनानी शासकों के सिक्के " अर्द्ध द्रम " कहे जाते थे। 


10) नासिक के लेख (पहली सदी) में नहपान के जमाता उपवदत्त ने चांदी के सिक्कों के लिए कर्षापण तथा सोने के सिक्कों के लिए सुवर्ण का उल्लेख मिलता है।

11) रोम राज्य के सोने के सिक्कों को दिनेरियस (Denarius) कहे जाते थे उन्हीं के नाम परगुप्त सम्राटों ने दिनार रखा।


12) गांगेयदेव और चंदेल राजाओं ने कुछ सोने के सिक्के तैयार किए थे ,जिनका तौल यूनानी द्रम (62 ग्रेन) के बराबर था। इसलिए वे सुवर्ण द्रम के नाम से विख्यात थे।

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