हुण वंश के सिक्के ! भाग -1
हुण एक विदेशी जाति थी जिसने स्कंदगुप्त के समय में गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण किया था। यह जाति मध्य एशिया से अफगानिस्तान तथा पंजाब को जीतकर गुप्त सीमा पर आ गए।
सन् 480 ई॰ के बाद (स्कंदगुप्त की मृत्यु के पश्चात्) इनका राज्य मध्य भारत , मालवा, पंजाब में विस्तृत हो गया। स्वतंत्र शासक होने के नाते हुण सरदारों - तोरमाण और मिहिरकुल ने सिक्के तैयार कराए।
हुण सरदार ने काबुल प्रांत को जीतकर शसैनियन शैली को अपनाया।
उन सिक्कों पर आगे के भाग पर शसैनियन ढंग के भद्दे सिक्के अर्द्ध शरीर और ब्राह्मी के कुछ अक्षर है और पीछे के भाग पर सिक्के के बीच में एक लकीर ब्राह्मी लिपि में "तोर" लिखा मिलता है।
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