भारतीय पर्यावरणविद अनिल अग्रवाल की कुछ पर्यावरण से जुड़ी रिपोर्ट्स !
सिटीजन रिपोर्ट्स
इन्होंने पहली सिटीजन रिपोर्ट से संकुचित विचारधारा वाले विद्वानों और सोई जनता की आंखे खोली। रिपोर्ट ने गांव की ढ़लती अर्थव्यवस्था में घटते ईधन - चारे (बॉयोमास ) के दौर में महिलाओं पर पड़ते भारी बोझ की ओर ध्यान आकर्षित किया।
इससे पर्यावरण और विकास के बीच के रिश्ते को समझने में मदद मिली। इस रिपोर्ट द्वारा उठाए मुद्दों पर काफी चर्चा हुई और कुछ ठोस कदम भी उठाए गए।
इस किताब का कन्नड़ और हिंदी में अनुवाद प्रसिद्ध पर्यावरणविद शिवराम कारन्थ और अनुपम मिश्रा ने किया।
इसके बाद इसी प्रकार की अन्य सिटीजन रिपोर्ट्स छपती रही।
तीसरी रिपोर्ट बाढ़ के विषय पर थी।
चौथी रिपोर्ट डाईन्ग विजडम में भारत में परंपरागत जल संचयन के तौर तरीकों को संकलित किया गया था।
जबकि पहली दो रिपोर्ट में आंदोलनों से जुड़े कार्यकर्ताओं का सक्रिय योगदान था।
अंत में रिपोर्ट सीएसई ने खुद तैयार की थी - जो सीएसई और पर्यावरण से जुड़े जमीनी आंदोलनों के बीच लुप्त होते संबंधो का प्रतीक था।
स्लो - मर्डर रिपोर्ट
उस समय दिल्ली की हवा बहुत प्रदूषित थी और लोगों का दम घुट रहा था। उस समय अग्रवाल ने " स्लो - मर्डर रिपोर्ट" के साथ - साथ एक अभियान चलाया।
इस रिपोर्ट में उन्होंने तेल कंपनियों ,ऑटो नियाताओं और नियामक अधिकारियों को दोषी ठहराया।
उस विश्लेषण के बाद एक मीड अभियान शुरू हुआ। जिसके परिणाम स्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों पर अंकुश लगाया।
अग्रवाल ने ठोस सबूतों और आंकड़ों के आधार पर देश के अग्रणी पूंजीपतियों और कंपनियों को पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया।
उसके बाद दिल्ली का पूरा सार्वजनिक परिवहन कम्प्रैस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) में परिवर्तित हुआ।

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