भारतीय गणितज्ञ जिनके जन्मदिन पर गणित दिवस मनाया जाता है - रामानुजन !
श्रीनिवास रामानुजन ( 1887 - 1920)
प्रारंभिक जीवन
श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 मद्रास (चेन्नई ) से 400 किलोमीटर दूर स्थित इरोड में हुआ। उनके पिता एक साड़ी की दुकान में काम करते थे। वे काफी गरीबी के पले बढ़े।रामानुजन की मां कोमालथाअम्मल अपने विचारो की पक्की थी और मन्दिर में भजन गाया करती थी। उनसे रामानुजन ने गहरी धार्मिकता सीखी जो सारी जिंदगी उनके जीवन का अभिन्न अंग रही।
रामानुजन पास के शहर कुंभकोणम में अपने ननिहाल में ही पले बढ़े।
शिक्षा
उनकी गणितीय प्रखरता 10 साल की उम्र में ही साफ दिखने लगी। वो गणित न केवल खुद समझ लेते बल्कि अपने से ऊंची कक्षाओं के छात्रों शंकाओं का भी समाधान किया।हाई स्कूल में उन्होंने जी. एस. कार की किताब " ए सिनौपसिस ऑफ एलीमेंट्री रेसुल्ट्स इन मैथमैटिक्स " का अध्ययन किया।
इस किताब की विशिष्टता यह थी - बिना तरीका समझाए अंतिम परिणाम लिखना।
रामानुजन ने भी यही पद्धति अपनायी और उस वजह से बाद में इस किताब को काफी प्रसिद्धी मिली।
रामानुजन ने मद्रास विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कुछ समय एक कॉलेज में दाखिला भी लिया। लेकिन गणित में मगन रहने के कारण उन्होंने बाकी विषयों पर कुछ ध्यान नहीं दिया। वो परीक्षा में फेल हुए और स्नातक की डिग्री पाने में असमर्थ रहे।
उन्होंने छात्रों को प्राइवेट ट्यूशन देने की सोची पर वे इसमें भी असफल रहे। गणित पढ़ाते समय वो उसकी उच्च स्तरीय व्याख्या करने लगते।
छात्र उनकी विद्धता का आदर करते लेकिन पढ़ाया गया उन्हें कुछ समझ में नहीं आता। ऐसी घटनाओं ने रामानुजन को सारी जिंदगी परेशान किया। उनकी मौलिकता तमाम गणितज्ञों के समझ से बाहर थी। लोग इस भ्रम में रहते रामानुजन सच में एक दिग्गज गणितज्ञ है या फिर बहरूपिया।
रामानुजन नोट बुक
प्रसिद्ध रामानुजन नोटबुक इसी काल में रची गई। रामानुजन का अंको से एक विशिष्ट लगाव था। हर अंक उनका अभिन्न मित्र था। कठोर प्रमाण देने की उन्हें कभी जरूरत महसूस नहीं हुई।
यह विशिष्टता पाश्चात्य गणितज्ञों की थी।उनकी प्रतिभा विलक्षण थी। वो एक ऊंची मानसिक उछाल के बाद सिर्फ प्रश्न का अंतिम हल लिखते थे।
उस हल के चरणों को लिपिबद्ध करने की उन्होंने कभी परवाह नहीं की। गणितज्ञ दो पीढियों से उनके प्रतिपादनों के हल खोज रहे है। आज भी वो कार्य में पूरी तरह सफल नहीं हुए है।
विवाह
रामानुजन के 20 वर्ष के हो जाने पर उनकी मां ने उनकी शादी करा दी।रामानुजन ने 14 जुलाई ,1909 में अपने से 11 साल छोटी जानकी अम्मल से विवाह किया। शादी के बाद रामानुजन परिवार चलाने के लिए नौकरी खोजने के लिए मजबूत हुए।
रामानुजन और हार्डी
1912 में उन्हें मद्रास पोर्ट ट्रस्ट के लेखा जोखा विभाग में एक क्लर्क की नौकरी मिली। वहां के प्रमुख अकाउंटेंट नारायण राव एक गणितज्ञ थे।
पोर्ट ट्रस्ट के चेयरमैन सर फ्रांसिस स्प्रिंग और नारायण राव दोनों ने पोर्ट ट्रस्ट की गणितीय प्रतिभा में खूब दिलचस्पी ली।
रामानुजन ने अपने कार्य को मूल्यांकन के लिए इंग्लैंड के गणितज्ञों को भेजा ,पर क्योंकि रामानुजन के पास कोई औपचारिक डिग्री नहीं थी। इसलिए किसी ने भी उनके काम को गंभीरता से नहीं लिया।
1913 रामानुजन ने गॉडफ्रे हेरॉल्ड हार्डी को एक रोचक पत्र लिखा।
हार्डी केब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनटी कॉलेज में एक प्रख्यात गणितज्ञ थे।
पत्र ने रामानुजन ने बिना किसी प्रमाण के 120 गणितीय प्रमेय " हार्डी " को भेजी।
हार्डी ने लिखा" मैंने ऐसे प्रमेय कभी नहीं देखें। एक ही झलक में मैं समझ गया कि उन्हें कोई अव्वल दर्जे का गणितज्ञ ही लिख सकता था। उनका सच होना अनिवार्य था क्योंकि अगर वो सच नहीं होती तो उन्हें महज कल्पना द्वारा रच पाना असंभव था।"
हार्डी पर रामानुजन के पत्र का गहरा असर हुआ और उनके ही प्रयासों से रामानुजन केब्रिज पहुंचे। 1914 में रामानुजन केब्रिज पहुंचे।
वहां उनके अनुसंधान में जोर पकड़ा और उन्होंने नंबर थ्योरी , अनंत श्रेणी आदि विषयों पर शोधपत्र लिखे।
1917 में उन्होंने प्रसिद्ध हार्डी - रामानुजन नियम रचा जो " पूर्णांक के विभक्तिकरण " के बारे में है।
रामानुजन के काम की विशिष्टता है उनमें कुछ खास रहस्यमयी चिन्हों और नियमों का समावेश।
उनका मानना था कि सपने में नामगीरी देवी उनके काम को दिशा और प्रेरणा देती थी।
उपलब्धियां
1916 में केब्रिज विश्वविद्यालय ने रामानुजन को " बैचलर ऑफ साइंस " की डिग्री प्रदान की।1919 में रामानुजन को " फेलो ऑफ द रॉयल सोसायटी (एफआरएस) "का सदस्य मनोनीत किया गया।
शुद्ध शाकाहारी होने के कारण रामानुजन अपना भोजन खुद पकाते थे। काम के बहुत दबाव और ठीक तरह से भोजन न मिलने के कारण रामानुजन को इंग्लैंड में क्षय रोग हो गया और उन्हें अस्पताल में दाखिल किया गया।
मृत्यु
1919 में रामानुजन इंग्लैंड से वापस लौटे और उसी वर्ष कुंभकोणम में उनका क्षय रोग (टी बी) से निधन हो गया।







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