भारतीय भू - वैज्ञानिक दाराशाह नौशेरवान वाडिया भाग - 2

 भू - विज्ञान पर पहली पुस्तक

उन्हें पुस्तकों से प्रेम था और उन्होंने भारतीय भू - विज्ञान पर पहली पुस्तक लिखी। इस किताब को बहुत प्रसिद्धि मिली। 1966 में इसका 6 वां संस्करण बिक चुका था।


 इस किताब के बारे में कहते हुए प्रसिद्ध भू - वैज्ञानिक के.एक. वाल्डिया ने लिखा -

" द जियोलॉजी ऑफ इंडिया को 1919 में मैकमिलन, लंदन ने छापा। इस किताब में संपूर्ण भारतीय महाद्वीप - पाकिस्तान,भारत, बांग्लादेश , म्यांमार , और श्रीलंका के भू - विज्ञान का निचोड़ है और इसमें वाडिया के ज्ञान  और गहरे शोध की साफ झलक मिलती है।"




सम्मान

1) 1945 में जवाहर लाल नेहरू की राष्ट्रीय सरकार ने वाडिया को भू - विज्ञान परामर्शदाता के पद पर नियुक्त किया। वाडिया ने ही देश की खनिज  नीति की नीव रखी।


2) 1963 में भारत सरकार ने उन्हें पहले नैशनल प्रोफेसर ऑफ जियोलॉजी का पद संभाला।


3) भारत सरकार ने उन्हें 1958 में पद्म भूषण से सम्मानित किया।


4) 1957 में वाडिया फेलो ऑफ द रॉयल सोसायटी, लंदन के सदस्य मनोनीत हुए।


5) उन्हें तमाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदकों से सम्मानित किया गया और कई विश्वविद्यालयों ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधियां दी।


यह एक पत्थर की आत्मकथा

वाडिया ने कई उम्दा लोकप्रिय वैज्ञानिक लेख भी लिखे। उसमे "स्टोरी ऑफ स्टोन " ,यह एक पत्थर की आत्मकथा है। 


इस क्लासिक पुस्तक ने ,न केवल वाडिया  को यशस्वी बनाया। उन्हें साथ - साथ दुनिया की कई  पीढ़ियों के लिए जियोलॉजी का गुरु भी बनाया।

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