भारतीय वैज्ञानिक शिशिर कुमार मित्रा !

शिशिर कुमार मित्रा ( 1890 - 1963)



शिशिर कुमार मित्रा ने भारत में रेडियो विज्ञान की नीव रखी। उन्होंने (आयनोस्फीयर) पर भी बहुत शोधकार्य किया।

प्रारंभिक जीवन

1) शिशिर का जन्म 24 अक्टूबर ,1889 में कलकत्ते में हुआ।


2) उनके पिता जयकृष्ण एक स्कूल शिक्षक थे और मां शरत कुमारी डॉक्टर थी।


3) शिशिर के जन्म के समय उनकी मां कैम्पबेल मेडिकल स्कूल की छात्रा थी।


4) 1989 में शरत कुमारी को लेडी डफरिन अस्पताल में नौकरी मिली और जयकृष्ण को भागलपुर म्यूनिसिपैलिटी में क्लर्क की नौकरी मिली।


5) 9 साल के उम्र में उन्होंने एक गर्म हवा का गुब्बारा देखा। इसका उन पर गहरा प्रभाव पड़ा और उन्हें आगे विज्ञान पढ़ने की प्रेरणा मिली।


शिक्षा 

1) शिशिर की प्रारंभिक शिक्षा भागलपुर जिले स्कूल में हुई। 


2) बाद में वो टी. एन. जे. कॉलेज में पढ़े।


3) फाइन आर्ट्स एमए की परीक्षा के पहले उनके पिता का देहांत हो गया।


4) शिशिर की मां ने उन्हें कलकत्ते के प्रेसीडेंसी कॉलेज से बीएससी करने के लिए प्रोत्साहित किया।


5) यहां उनकी भेंट जगदीश चन्द्र बोस और प्रफुल्ल चंद्र रे से हुई। शिशिर ने बोस द्वारा निर्मित कम कीमत के उपकरणों को देखा तो वो उनकी ओर आकर्षित हुए और उन्होंने बोस के साथ शोध करने का निश्चित किया।


6) 1912 में एमएससी की परीक्षा में वो सबसे पहले आए।


7) कुछ समय के लिए उन्होंने बोस के साथ शोधकार्य किया,लेकिन परिवार चलाने के लिए उन्हें एक नौकरी की जरूरत थी।

इसलिए उन्होंने कुछ सालों तक भागलपुर के टी. एन. जे. कॉलेज और फिर बंकुरा क्रिस्चियन कॉलेज में अध्ययन किया।


8) 1914 में उनका विवाह लीलावती देवी से हुआ।


9) उस समय कलकत्ता विश्वविद्यालय के उपकुलपति सर आशुतोष मुखर्जी " एमएससी " स्तर की पढ़ाई और वैज्ञानिक शोध शुरु करने के लिए प्रयासरत थे।




10) 1916 में यूनीवर्सिटी साइंस कॉलेज को स्थापित करने में सफल हुए और वहां उन्होंने मित्रा समेत अनेक शोधकर्ताओं को काम करने के लिए आमंत्रित किया।

जैसे - सी. वी. रमन , सत्येन्द्र नाथ बोस और मेघनाथ साहा भी शामिल थे।


11) मित्रा " रमन " के मार्गदर्शन में प्रकाश के इंटरफीयरेंस और डिफ्रैक्शन पर शोध शुरु किया। बस तीन सालों में उन्होंने अपनी थीसिस पूरी की और 1919 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से डीएससी की डिग्री प्राप्त की।


12) 1923 में उन्होंने दूसरी डीएससी डिग्री हासिल की।


सम्मान और पुरस्कार

शिशिर कुमार मित्रा को बहुत से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले।


1) उन्हें फेलो ऑफ द रॉयल सोसायटी (एफआरएस) का सदस्य मनोनीत किया गया।


(2) उन्हें सरकार ने नेशनल प्रोफेसर बनाया।


3) 1958 में एफआरएस, इंडियन नेशनल साइंस एकादमी के अध्यक्ष (1959 - 60) 


4) नेशनल प्रोफेसर 1962 में और उसी वर्ष उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण से भी सम्मानित किया।


मृत्यु

कुछ दिनों बीमार रहने के बाद उनका देहांत 13 अगस्त , 1963 को हुआ। 


मित्रा के सम्मान में चंद्रमा पर स्थित एक गड्ढे (क्रेटर) का नाम "मित्रा " रखा गया है।


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