श्रीनिवास रामानुजन से जुड़ी कुछ खास बातें !
1) नवंबर 1887 में जब वे 10 वर्ष के भी नहीं हुए थे, तब उन्होंने अंग्रेजी, तमिल , अंकगणित और भूगोल के साथ प्राइमरी परीक्षा पास कर ली थी और इसी वर्ष टॉउन हाई स्कूल में दाखिला ले लिया था।
2) रामानुजन ने लगभग 10 से 11 वर्ष की आयु में इंटरमीडिएट में पढ़ाई जाने वाली तीनों अंकगणित ,त्रिकोणमिति और हर्मोनिक प्रोग्रेशन का अभ्यास कर लिया था।
3) रामानुजन ने "एल एन लोनी " की त्रिकोणमिति की किताब को मात्र 13 वर्ष की उम्र में ही इस पुस्तक पर महारत हासिल कर ली।
4) 1911 में " जेनरल ऑफ द इंडियन मैथमैटिकल सोसायटी " में उनका पहला शोध लेख प्रकाशित हुआ। जिसका शीर्षक था " बरनौली संख्याओं के कुछ गुण " जिससे उन्हें पहचान मिली।
5) उनकी पहली नौकरी में उनकी तनख्वाह 20 रुपए प्रति माह थी।
6) उनके जन्मदिन के दिन 22 दिसंबर को नेशनल मैथमैटिक्स डे के रूप में मनाया जाता है।
7) विकासशील देशों के गणितज्ञों को प्रोत्साहित करने के लिए इंटरनेशनल सेंटर फॉर थ्योरिटिकल फिजिक्स (आईसीटीपी) ने रामानुजन के नाम पर एक पुरस्कार स्थापित किया है।
पुरस्कार इंटरनेशनल मैथमैटिकल यूनियन के सहयोग से दिया जाता है। यही संस्था पुरस्कार देने वाली समिति के सदस्यों को मनोनीत करती है।
8) उन्होंने अपने जीवन में कुल 3884 प्रमेयों को बनाया था। जिसमे अधिकतर सही साबित हुए।
9) वो गणित के एक सवाल को 100 से भी ज्यादा तरीकों से हल कर सकते थे।
10) वे अपने जन्म के तीन वर्ष तक बोल नहीं पा रहे थे, उनके माता पिता का लगता था कि वे गूंगे तो नहीं है !
11) रामानुजन की बायोग्राफी 'द मैन हू न्यू इंफिनिटी' 1991 में पब्लिश हुई थी।
12) रॉयल सोसाइटी के पूरे इतिहास में रामानुजन सबसे कम आयु के सदस्य थे। वे ट्रिनीटी कॉलेज की फेलोशिप पाने वाले पहले भारतीय भी बने।
13) रामानुजन के कुछ इक्वेशन का इस्तेमाल ब्लैक होल की प्रकृति को समझने के लिए किया जा रहा है।

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