हजारों वर्ष पूर्व ही,भविष्य में जन्म लेने वालों के बारे में बताने वाले !
महर्षि भृगु
यदि हम ब्रह्मा जी के मानस पुत्र महर्षि भृगु की बात करें तो वे आज से लगभग 9,400 वर्ष पूर्व हुए थे।
इनके बड़े भाई का नाम अंगिरा था। "अत्रि, मरीचि, दक्ष, वशिष्ठ, पुलस्त्य, नारद, कर्दम, स्वायंभुव मनु, कृतु, पुलह, सनकादि ऋषि " इनके भाई थे। ये भगवान विष्णु के श्वसुर और शिव के साढू थे।
महर्षि भृगु को भी सप्तर्षि मंडल में स्थान मिला है।
इनके पिता ब्रह्मा जी है। इनकी पत्नी का नाम ख्याति था। इनके धाता और विधाता नामक दो पुत्र थे। इनकी पुत्री लक्ष्मी जी (भार्गवी) थी।
इन्होंने भृगु संहिता और ऋग्वेद के मंत्र की
रचना की थी।
महर्षि भृगु के कार्य और उपलब्धियां
महर्षि भृगु ने भूत, भविष्य एवं वर्तमान बताने वाले विश्व के अद्वितीय ज्योतिषी माने जाते हैं। उनके सदृश " न भूतो न भविष्यति " को कोई हो सकेगा।
" भविष्य में जन्म लेने वाले मानवों के जीवन का लेखा-जोखा भृगुजी ने हजारों वर्ष पूर्व दे दिया था। "
अपनी अभूतपूर्व कृति भृगु संहिता में मिलता है। इनका आयुर्वेद से भी घनिष्ठ संबंध था।
"अथर्ववेद" एवं आयुर्वेद संबंधी प्राचीन ग्रंथों में स्थल - स्थल पर इनको प्रामाणिक आचार्य की भांति उल्लेखित किया गया है।
संजीवनी विद्या की खोज
महर्षि भृगु ने संजीवनी विद्या की भी खोज की थी। उन्होंने संजीवनी - बूटी खोजी थी अर्थात मृत प्राणी को जिंदा करने का उन्होंने ही उपाय खोजा था। परंपरागत रूप से यह विद्या उनके पुत्र शुक्राचार्य को प्राप्त हुई।
धरती पर पहली बार अग्नि का उत्पादन
धरती पर पहली बार महर्षि भृगु ने ही अग्नि का उत्पादन करना सिखाया था। उन्होंने ही बताया था कि किस तरह अग्नि को प्रज्वलित किया जा सकता है और किस तरह हम अग्नि का उपयोग कर सकते हैं।



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