बनारस की वेदशाला किसने बनवाई ?

राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने,जो अपने समय के प्रसिद्ध ज्योतिर्विद थे।1737 में यहां एक वेदशाला स्थापित की।

समरथ नाम के जयसिंह के एक प्रसिद्ध ज्योतिषि ने इस वेदशाला का नक्शा बनाया था और सदाशिव के निरीक्षण में सरदार महोन ने,जो जयपुर के एक शिल्पी थे। यह वेदशाला तैयार करवाई।

इसमें दक्षिणोत्तर  भित्तिय यंत्र , सम्राट यंत्र , दिगेश यंत्र, नालीवलय यंत्र, चन्द्र यंत्र जिनसे लग्न इत्यादि साधने का काम लिया जाता था।

वाराणसी की वेधशाला के यन्त्र 

1) सम्राट यंत्र -

 इस यंत्र द्वारा ग्रह-नक्षत्रों की क्रांति विषुवांस, समय आदि का ज्ञान होता है।

2) दक्षिणोत्तर भित्तिय यंत्र -

 यस यंत्र से मध्याह्न के उन्नतांश मापे जाते हैं।

3)  चन्द्र यंत्र -

 इस यंत्र से नक्षत्रादिकों की क्रांति स्पष्ट विषुवत काल आदि जाने जाते हैं।



4) दिगेश यंत्र -

 इस यंत्र से नक्षत्रादिकों दिगंश मालूम किए जाते हैं।


5) नाड़ी वलय यंत्र -

इस यंत्र द्वारा सूर्य तथा अन्य ग्रह उत्तर या दक्षिण किस गोलार्ध में हैं, यह मालूम किया जाता था।

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