पांडवो की दिग्विजय महाराज युधिष्ठिर जब इंद्रप्रस्थ के राजा बने तब उन्होंने दिग्विजय के लिए सृजनवंशी वीरों के साथ सहदेव को दक्षिण दिशा में दिग्विजय के लिए भेजा, नकुल को मत्स्यदेशीय वीरों के साथ पश्चिम में, अर्जुन को केकयदेशीय वीरों के साथ उत्तर दिशा में और भीमसेन को मद्रदेशीय वीरों के साथ पूर्व दिशा में दिग्विजय करने का आदेश दिया। राजसूय यज्ञ के अतिथि जब युधिष्ठिर ने इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ किया, तब उसमें श्रीकृष्णदैपायन (वेदव्यास) , भरद्वाज, सुमंतु, गौतम, असित वशिष्ठ, च्यवन,कण्व , मैत्रेय, कवष, त्रित, विश्वामित्र, वामदेव, सुमति, जैमिनि, क्रुतु, पैल, पराशर, गर्ग, वैशंपायन, अथर्वा, कश्यप, धौम्य, परशुराम, शुक्राचार्य, आसुरि , वितिहोत्र ,मधुच्छन्दा , वीरसेन और अकृतव्रण। इसके अलावा द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह, कृपाचार्य, धृतराष्ट्र और उनके दुर्योधन अपने भाइयों के साथ, विदूर आदि को बुलवाया था। इस यज्ञ का दर्शन करने के लिए देश के सब राजा, उनके मंत्री तथा कर्मचारी ,ब्राह्मण, क्षत्रिय वैश्य, शुद्र सब के सब वहां आये। इसी प्रकार सत्यकि, विकर्ण, हार्डिक्य, विदुर,भू...
😲😲😲😲😲mtlb surity k sath
ReplyDeleteSorry,Mai aap Ka sawal samjhi nahi 🌺
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