बनारस के ,सारनाथ से जुड़ी कुछ खास बातें !
सारनाथ से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो अनसुनी है या जिनके बारे में भ्रांतियां है -
(1) सारनाथ में चौखंडी स्तुप, इसे सीता की रसोइया भी कहते हैं। इसका रामायण काल की सीता से कोई वास्ता नहीं है।
यह ममता नाम की ब्राह्मणी से जुड़ा है, जिसने हुमायूं को घायल अवस्था में एक रात का आश्रय दिया था।
चौखंडी स्तुप
बाद में हुमायूं ने इसका निर्माण, उसी महिला के नाम करवाया।
यहीं पर भगवान बुद्ध की मुलाकात उन 5 दोस्तों से हुई, जो बाद में उनके पहले शिष्य बन गए।
यहीं पर भगवान बुद्ध की मुलाकात उन 5 दोस्तों से हुई, जो बाद में उनके पहले शिष्य बन गए।
2) मूलगंध कुटी बिहार का निर्माण "धर्मपाल " ने भगवान बुद्ध की याद में करवाया। वास्तव में मूलगंध कुटीबिहार पुरातात्विक खंडहर परिसर में था।
मूलगंध कुटी बिहार
3) सारनाथ में बोधिवृक्ष नहीं है। वह बौद्ध गया में है। सारनाथ में जो वृक्ष है, वह धर्मपाल ने श्रीलंका के टीथ टेंपल से लाकर लगाया था।
4) सारनाथ में कोई भी स्तूप बुद्ध के बताए आकार में नहीं है। भारत में सिर्फ मध्यप्रदेश के सांची को छोड़कर कहीं भी बुद्ध के बताए अनुसार स्तूप नहीं बना है।
5) 1798 में धर्मराजिका स्तूप की खुदाई के दौरान तत्कालीन बनारस के राजा चेतसिंह के दीवान जगत सिंह के मजदूरों को एक पत्थर के बक्से में मंजूषा मिली थी, जिसमें भगवान बुद्ध की अस्थियां थीं।
धर्मराजिका स्तूप
6) सारनाथ की खुदाई 1836 से लगभग 100 साल तक चली जो 1932- 33 के आस पास बंद हुई।
ब्रिटिश अफसर " अलेक्जेंडर कनिंघम " ने सारनाथ और उसके आस-पास खुदाई शुरू करवाई थी।
अलेक्जेंडर कनिंघम




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