बनारस का , काशी विश्वनाथ मंदिर कितनी बार तोड़ा गया ?
चीनी यात्री (ह्वेनसांग) के अनुसार उसके समय में काशी में सौ मंदिर थे, किन्तु मुस्लिम आक्रमणकारियों ने सभी मंदिर ध्वस्त कर मस्जिदों का निर्माण किया।
1) काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण सर्वप्रथम 11 वीं सदी में हुआ था।
काशी विश्वनाथ मंदिर
2) सन् 1190 में राजा हरीशचन्द्र ने जिस विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था उसे
सन् 1194 ईसवी में मुहम्मद गौरी ने लूटने के बाद, काशी विश्वनाथ मंदिर को तुड़वा दिया था।
मुहम्मद गौरी
4) इतिहासकारों के अनुसार इस भव्य मंदिर को फिर से बनाया गया, लेकिन एक बार फिर इसे सन् 1447 में " जौनपुर "के सुल्तान महमूद शाह द्वारा तोड़ दिया गया।
5) सन् 1585 ईसवी में टोडरमल की सहायता से पं. नारायण भट्ट द्वारा इस स्थान पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया।
6) इस भव्य मन्दिर को सन् 1632 ईसवी में शाहजहां ने आदेश पारित कर तोड़ने के लिए सेना भेज दी।
शाहजहां
1) काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण सर्वप्रथम 11 वीं सदी में हुआ था।
2) सन् 1190 में राजा हरीशचन्द्र ने जिस विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था उसे
सन् 1194 ईसवी में मुहम्मद गौरी ने लूटने के बाद, काशी विश्वनाथ मंदिर को तुड़वा दिया था।
मुहम्मद गौरी
4) इतिहासकारों के अनुसार इस भव्य मंदिर को फिर से बनाया गया, लेकिन एक बार फिर इसे सन् 1447 में " जौनपुर "के सुल्तान महमूद शाह द्वारा तोड़ दिया गया।
5) सन् 1585 ईसवी में टोडरमल की सहायता से पं. नारायण भट्ट द्वारा इस स्थान पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया।
6) इस भव्य मन्दिर को सन् 1632 ईसवी में शाहजहां ने आदेश पारित कर तोड़ने के लिए सेना भेज दी।
शाहजहां
सेना हिन्दुओं के प्रबल प्रतिरोध के कारण काशी विश्वनाथ मंदिर के " केंद्रीय मंदिर " को तोड़ नहीं सकी, लेकिन काशी के 63 अन्य मंदिरों को तोड़ दिया गया।
7) 18 अप्रैल सन् 1669 ईसवी को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया।
औरंगजेब
यह फरमान " एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में आज भी सुरक्षित है।
उस समय के लेखक साकी मुस्तइद खां द्वारा लिखित मासीदे आलमगिरी में इसका वर्णन है।
औरंगजेब के आदेश पर यहां का मंदिर तोड़कर एक ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई।
2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को मंदिर तोड़ने का कार्य पूरा होने की सूचना दी गई थी।
8) बाहरी आक्रमणों के बाद अंतिम बार इसका जीर्णोद्धार इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने मराठा सम्राट विक्रमादित्य से सन् 1777 से 1780 के बीच करवाया था।
महारानी अहिल्याबाई होल्कर







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