बाबर बनारस कब आया था ?
💠मुगल वंश के संस्थापक बाबर ने इब्राहिम लोदी को पानीपत के मैदान में सन् 1526 ईसवी में और इस तरह दिल्ली पर मुगलों का अधिकार हो गया।
बाबर
बाबर
💠अभी पुरे उत्तरी हिंदुस्तान पर बाबर का कब्जा नहीं हुए था। लोदी साम्राज्य के पूर्वी सुबों पर अफगान सरदारों का दख़ल था।लोदियों ने दरिया खान को मुहम्मद सुल्तान के नाम से उन सुबों का बादशाह बना दिया।
💠फिर भी 1527 में हुमायूं ने गाजीपुर तक कब्जा कर लिया।
हुमायूं
पर जैसे ही हुमायूं वापस हुआ की अफगानों ने पुनः उस भाग पर कब्जा कर लिया और बाबर को पुनः 1528 और 1529 में अवध को फतह करना पड़ा।
💠बाबर की लड़ाई में बनारस मुख्य केंद्र बन गया। बाबर ने बनारस जीत कर 934 हिजरी में वहां जलालुद्दीन खां शर्की को कुछ सेना के साथ रख दिया।
💠1528 में गंगा के उस पार जब बाबर अपनी सेना के साथ डेरा डाले हुए था।
💠तब उसे समाचार मिला कि सुल्तान महमूद लोदी 10,000 सैनिकों को इकठ्ठा करके शेख बयाजीद और बीबन के मातहत की एक बड़ी सेना सरवार (गोरखपुर) की ओर रवाना कर दी थी और वो खुद फतह खां सरवानी के साथ नदी के किनारे - किनारे चुनार की ओर बढ़ रहे थे।
💠बाबर को यह भी ज्ञात हुआ कि शेर खां सुर जिसे 1527 में बाबर ने कई परगने उपहार में दिए थे और जिसके अधिकार में पुरे प्रदेश को छोड़ दिया था, अफगानों से मिल गया था और अफगानों ने उसे अमीर की खिल्लत भी दे दी थी।
💠शेर खां ने नदी पार करके बनारस पर धावा बोल दिया और जलालुद्दीन के सहायक बनारस को बचाने में अपनी असमर्थता देखकर भाग खड़े हुए।
💠जलालुद्दीन ने बाबर के पास जो खबर भेजी उसमे तो यह कहा गया था कि बनारस के किले में अपने आदमियों को छोड़ कर खुद महमूद के साथ लड़ने के लिए आगे बढ़ गया था।
💠शेर खां का बनारस पर, यह धावा शाहाबाद की ओर से चौसा पर करके हुआ था। थोड़े ही दिनों बाद बाबर को खबर मिली कि बागियों ने चुनार पहुंचकर किले पर घेरा डाल दिया था।
💠थोड़ी सी लड़ाई भी हुई पर बाबर के आगे बढ़ने की समाचार सुनकर बागी अस्त व्यस्त दशा में भागे और गंगा पार करके बनारस जाते हुए अफगान सिपाही भी भाग खड़े हुए।
💠5 मार्च 1529 को बनारस फिर से बाबर के हाथ में आ गया। 23 मार्च 1529 को बाबर ने चुनार पहुंचकर किले से दो मील आगे डेरा डाला।
💠किसी ने बाबर को खबर दी कि चुनार के पास गंगा के मोड़ पर घने जंगल में शेर और गेंडे दिखाई पड़े है।
💠फिर नाव पर सवार होकर बाबर अपने खेमे में ,जो बनारस से 5 मील ऊपर था पहुंच गया।
💠अफगानी को पटना के पास करारी हार देने के बाद बाबर दिल्ली लौट गया। जहां सन् 1530, ईसवी में उसकी मृत्यु हो गई।



Comments
Post a Comment