किसने शिखंडी को पुरुषत्व उधार दिया ?

पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री  शिखंडी विवाह के बाद कांपिल्य में आकर रही। वहाँ शिखंडी की पत्नि को, शिखंडी के स्त्री होने की बात पता चली। शिखंडी की पत्नि ने अपने सखियों के द्वारा अपने पिता तक यह बात पहुंचाई।


शिखंडी के ससुर ने द्रुपद के पास एक दूत भेजा। दूत ने द्रुपद से कहा कि आपने हमें धोखा दिया है। सब कुछ पता चलने के बाद हिरण्यवर्मा ने पाँचाल पर आक्रमण करने का विचार किया, लेकिन द्रुपद ने दूत के द्वारा हिरण्यवर्मा को युद्ध का विचार छोड़ने के लिए मना लिया। 


इन सभी बातों को जानकर शिखंडी बहुत दुखी हुए और अपने प्राण त्यागने के विचार से वन में चले गए।
जिस वन में शिखंडी गया था। उस वन की रक्षा स्थुलावर्ण नाम का यक्ष करता था। वहाँ उस यक्ष का एक भवन भी बना हुआ था।



शिखंडी जब उस यक्ष से मिला तब उस यक्ष ने शिखंडी से कहा कि मैं तुम्हारी मनोकामना पूरी करूँगा। इस पर शिखंडी ने सारी बात बतायी और कहां की तुम मुझे एक सुंदर पुरुष बना दो।


तब यक्ष ने कहा कि मैं केवल कुछ समय के लिए ही आपको अपना पुरुषत्व दे सकता हूं। जब तुम्हारा काम हो जाएगा तब तुम मेरा पुरुषत्व लौटा दोगे। 


शिखंडी ने कहा कि जैसे ही राजा  हिरण्यवर्मा मुझे पुरुष रूप में देख कर "पांचाल देश" से युद्ध का विचार त्याग कर अपने राज्य में लौट जाएंगे। मैं तुम्हारा पुरुषत्व तुम्हें देकर, अपनी स्त्रीत्व तुमसे ले जाऊंगी।

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