एक पुत्र को जन्म देने वाले राजा युवनाश्व !

राजा युवनाश्व का जन्म इक्ष्वाकु वंश में हुआ था। उन्होंने एक हजार अश्वमेध यज्ञ किए थे। एक दिन अपने सभी कार्यों को अपने मंत्रियों पर छोड़ कर युवनाश्व वन में निवास करने के लिए चले गए।

एक बार महर्षि भृगु के पुत्र ने युवनाश्व से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया। यज्ञ के समय व्रत के कारण राजा ने जल ग्रहण नहीं किया, जिससे रात के समय राजा को बहुत प्यास लगी।

तब युवनाश्व ने आश्रम के भीतर जाकर पानी मांगा, लेकिन सब लोग रात्रि के जागरण से थककर गहरी नींद में सो रहे थे। किसी ने उनकी आवाज नहीं सुनी।



वहीं पर महर्षि ने मंत्रपूत (पुत्र प्राप्ति के लिए मंत्रों से उच्चारण करके) जल का एक बड़ा कलश रखा था। उसे देखकर युवनाश्व ने जल्दी में, उसी पानी को पीकर अपनी प्यास बुझायी और कलश को वहीं छोड़ दिया।


 जब सभी ऋषि नींद से जागे तो उन्होंने खाली कलश को देखा और आपस में बात करने लगे कि कलश का पानी किसने पिया ? 

यह बातें सुनकर राजा युवनाश्व ने सारी बातें सच - सच सबको बता दी।


सब जानकर ऋषि ने राजा से कहा कि

," यह पानी मैंने आपको एक बलवान और पराक्रमी पुत्र उत्पन्न होने की कामना से अभिमंत्रित करके रखा था। शायद ईश्वर की यही इच्छा है ,अब आपको ही एक पुत्र  को जन्म देना होगा।"


फिर सौ वर्ष बीतने पर युवनाश्व की बायीं कोख फाड़कर एक पुत्र उत्पन्न हुआ। ऐसा होने पर भी राजा की मृत्यु नहीं हुई। उस बालक को देखने के लिए देवराज इंद्र उस स्थान पर आए। उनसे देवताओं ने पूछा " किं धास्यति " यह बालक क्या पियेगा ?



तब इंद्र ने अपनी तर्जनी अंगुली उस बालक के मुंह में डाल दी और कहा ,मां धाता (मेरी अंगुली पियेगा)।'

इसी से देवताओं ने उसका नाम " मान्धाता " रख दिया।

Comments

Popular posts from this blog

युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ

किस ऋषि का विवाह 50 राजकुमारियों से हुआ था ?

पुराणों में इंद्र, सप्तऋषि मनु और मन्वन्तर क्या है ?