एक राजकुमारी का,एक वृद्ध ऋषि से विवाह क्यूं हुआ ?

महर्षि भृगु के पुत्र का नाम च्यवन था।च्यवन ऋषि बहुत समय तक एक पेड़ के नीचे ,एक ही स्थान पर "वीरासन " में बैठे रहे। इसी कारण उनका शरीर तृण और लताओं से ढ़क गया और उनके ऊपर चींटियों ने मिट्टी से अपना घर बना लिया। 


च्यवन ऋषि बांबी (मिट्टी से बना चींटियों का घर) के रूप में दिखाई देने लगे। वे चारों ओर से केवल मिट्टी का पिंड जान पड़ते थे।



एक बार राजा शर्याति यहां अपनी चार हजार रानियों और एक पुत्री के साथ आये, जिसका नाम सुकन्या था। 


सुकन्या " च्यवन ऋषि " के बांबी के पास पहुंची। उसने उस बांबी के छेद में से चमकती हुई, च्यवन ऋषि की आंखों को देखा और कौतूहलवश उसने कांटे को छेद में डाल दिया। जिसके कारण च्यवन ऋषि की आंखे फूट गई। 


जिससे च्यवन ऋषि बहुत क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने शक्ति से शर्याति की सेना के मल  - मूत्र बंद कर दिये। ये सब देखकर राजा ने कहा कि,

 " यहां एक वृद्ध महात्मा च्यवन ऋषि तपस्या में लीन थे जरूर किसी ने कोई गलती की है, तभी सैनिकों को ऐसा कष्ट हो रहा है। जिसने भी ऐसा किया है वो तुरन्त मुझे बताएं।"

यह सारी बातें सुनकर सुकन्या ने सब बातें अपने पिता को बता दी, सब जानकर राजा ने ऋषि के पास क्षमा मांगने गए ,तब च्यवन ऋषि ने कहा कि ,

" इस कन्या ने जानबूझ कर ऐसा किया है अब इसे मेरे साथ विवाह करना होगा और मेरे साथ ही रहना होगा।"


राजा शर्याति ने च्यवन ऋषि की बात मान ली और सुकन्या को ऋषि के पास छोड़कर , वहां से चले गए।

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