कुबेर ने आजीवन स्त्री रूप में रहने का श्राप यक्ष को क्यूं दिया ?
एक बार जब यक्षराज कुबेर घूमते - घूमते स्थूणाकर्ण के स्थान पर पहुंचे । लेकिन जब स्थूणाकर्ण अपने स्त्री रूप के कारण, कुबेर के स्वागत के लिए बाहर नहीं आए।
तब कुबेर के पूछने पर, कुबेर के अनुचरों ने उन्हें बताया कि किसी कारण से स्थूणाकर्ण ने पांचाल नरेश द्रुपद की पुत्री को अपना पुरूषत्व देकर उसका स्त्रीत्व ले लिया है और लज्जा के कारण ही वह आपके सामने नहीं आ रहा है।
यह सुनकर कुबेर ने क्रोध में आकर स्थूणाकर्ण को श्राप दिया कि - " अब यह जीवन भर इसी तरह स्त्री रूप में रहेगा।"
तब दूसरे यक्षों ने स्थूणाकर्ण की ओर से प्रार्थना की कि इस श्राप का कोई समय निश्चित कर दे।
तब कुबेर ने कहा कि - "जब शिखंडी युद्ध में मारा जाएगा तब स्थूणाकर्ण को अपना स्वरूप प्राप्त हो जाएगा।"
ऐसा कहकर कुबेर सभी यक्षों के साथ " अल्कापुरी " को चले गए।
इन सब के बातों के बाद " शिखंडी " स्थूणाकर्ण के पास अपना स्त्री रूप वापस लेने पहुंची। तब स्थूणाकर्ण ने उसे सारी बात बता दी और यह सब जानकर शिखंडी वापस लौट आयी ।

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