चीनियों और तिब्बतियों के बीच 1912 में क्या समझौता हुआ ?
चीनियों और तिब्बतियों के बीच 14 दिसंबर 1912 का समझौता
चीनियों और तिब्बतियों में लड़ाई के कारण चीनियों के प्रतिनिधि एवं तिब्बतियों के प्रतिनिधि एक दूसरे को संतुष्ट करने के मकसद से नेपाली प्रतिनिधियों के साक्षी में उनके कार्यकाल में मिले।
विवादास्पद तथ्यों पर प्रतिनिधियों ने वार्ता की ,और इस तरह के निर्णय किए -
1) सबसे पहले " याब्शी हाउस " में जमा किए गए शस्त्रों की गणना करके देखना की इसकी संख्या ठीक है या नहीं। इसके बाद " याब्शी हाउस " में रखें इन शस्त्रों को इनके बाद भी जमा किए जाने वाले शस्त्रों को तिब्बतियों को सौंप देना।
तिब्बती प्रौंग गन ,नई बनी फाइव शोर्ट मैगजीन युशांग गन , नू जाऊं या मार्टिन हेनरी गन जिसपर तिब्बती चिन्ह अंकित है ,तोप , बिना बोल्ट वाली छोटी बड़ी बंदूके बारूद और कारतूस जो चीनियों के पास है "शो" भंडार - कक्ष में रखें जायेंगे।
भंडार - कक्ष पर चीनी, तिब्बती और नेपाली प्रतिनिधियों द्वारा सील बंदी की जाएगी। नेपालियों के द्वारा इसकी रक्षा तब तक की जाएगी जब तक चीनी "त्रोमो की सीमा " (चुंबी घाटी) पर नहीं कर लेते।
इसके बाद तिब्बतियों को इस भंडार कक्ष का हस्तानांतरण नेपालियों द्वारा किया जाएगा बदले में उन्हें बाकायदा रसीद दे दी जाएगी।
2) जब तक चीनी ' ल्हासा ' में है तब तक तिब्बती अपने व्यापारियों से प्रतिदिन भोजन देकर चीनियों से कीमत लेकर भेजेंगे। यदि कोई तिब्बती पक्ष की तरफ आना चाहे उसे " तुंगलिंग " से एक पत्र मिलेगा यदि तिब्बतियों की तरह कोई वस्तु छुट गई है तो धारक चाहे चीनी हो या तिब्बती उसे के सकता है।
3) सूची के अनुसार प्रस्थान करते समय चीनी अधिकारियों व सैनिकों के लिए तिब्बती लोग मालवाहक पशुओं एवं सवारी टट्टुओं व्यवस्था करेंगे।
क) तिब्बती चीनियों को (व्यापारियों व्यक्तियों को) 10 टंका पर एक मालवाहक टट्टु और 6 टंका पर एक सवारी टट्टु के हिसाब से पशुओं की आपूर्ति करेंगे। यह व्यवस्था एक ' जोंग ' से दूसरे जोंग यानी जानवरों के बदलने के हर स्थान के हिसाब से होगी।
4) " तुंगलिंग " व चीनी अधिकारी, सैनिक एवं व्यक्ति ' ल्हासा ' से इस महीने की 8 वीं (16 दिसंबर 1913) को चल देंगे। रास्ते में वे तिब्बतियों को सताएंगे या लूटेंगे नहीं और बिना देर किए भारत से (चीन) पहुचेंगे।
5) निरीक्षण के स्थलों पर चीनियों के बोरिया बिस्तर के साथ बोल्ट के अलावा यदि किसी और प्रकार का शस्त्रास्त्र मिला तो तिब्बती सरकार इन पर कब्जा लेगी।
6) रास्ते में पड़ाव स्थलों पर तिब्बती लोग चीनियों को उचित मूल्य खाद्य की पूर्ति करेंगे।
7) तिब्बतियों ने तिब्बत छोड़ कर जा रहे " तुंगलिंग " चीनी अधिकारी, सैनिक, व्यापारी, व्यक्ति या तिब्बत में रह रहे चीनी व्यापारी एवं अन्य व्यक्तियों के जान माल को न लूटने का वादा किया है।
8) " यामेन " के (पड़ोस) मकानों को तिब्बतियों को दिया।
9) " तेग्येलिग मठ " के धर्मगुरुओं का जहां प्रश्न है जब पहली संधि हुई थी तब दलाई लामा ने अच्छा व्यवहार करने वाले भिक्षुओं के जीवन की सुरक्षा का वादा किया था। प्रतिनिधि इसी वादे का निरीक्षण व अनुगमन करते है।
दोनों पक्ष (तिब्बत और चीनी) इन सभी बातों के लिए सहमत हो गए।
हस्ताक्षर और मुहरें किसकी - किसकी थी ?
1) तिब्बती प्रतिनिधि तेजी तीमोन के
2) केम्पो (प्रोफेसर) त्रुंग यिक चेम्पो ,मुख्य सचिव,त्रेपा ग्याल त्सेन के
3) व्याख्याता केंचुग लोब्सांग ग्यात्सो के
4) राष्ट्रीय सभा , सेरा ,द्रंपुंग व गांदेन मठों के
5) चीनी प्रतिनिधियों के
6) झा - का - मु - योन - ग्रंथों - खुन के
7) ल्हासा के ली - सी क्वान छा - देल के
8) दे - सी - क्वान , का - रा - क्वान के
साक्षी
ल्हासा में रह रहे नेपाली प्रतिनिधि लेफ्टिनेंट लाल बहादुर छेत्री के हस्ताक्षर व मुहर
दिथ्था कुल प्रसाद उपाध्याय के हस्ताक्षर व मुहर
से - कुशो - राणा गंभीर सिंह खत्री छेत्री के हस्ताक्षर व मुहर
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