तिब्बत और नेपाल के मध्य कौन सी संधि हुई ?

तिब्बत और नेपाल के मध्य संधि (1856) इस संधि का नेपाली भाषा में प्रतिरूप चैत्र सुदी 3, 1912 [ वी . ई. ] अर्थात मार्च 1856 से अनूदित गोरखा सरकार के भरदरों (कुलीन) एवं भोट (तिब्बत) की सरकार ने अपनी इच्छा से इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया है। यदि इस आधार पर युद्ध होता है कि संधि के एक पक्ष ने अहद (प्रस्ताव) का अतिक्रमण किया है तो अहद का अतिक्रमण करने वाले को ईश्वर के खिलाफ कार्य करने वाला माना जाएगा ।

संधि के खंड

1) प्रथम कुरा ( धारा 1 ) -

भोट सरकार गोरखा सरकार को 10,000 रुपए की वार्षिक सलामी देगी।

2) दुशरो कुरा (धारा 2) - 

 गोरखा सरकार जितना संभव हो सके तिब्बत की मदद करेगी यदि किसी विदेशी ताकत द्वारा उसपर हमला हो।

3) तेशरो कुरा ( धारा 3 ) - 

भोट को जगत महसुल (चुंगी कर) नहीं लगाना है जो तिब्बती क्षेत्र में अब तक गोरखा लोगों पर लगता आया है।

4) चौथो कुरा ( धारा 4 ) -

संधि की शर्तें पूरी होते ही गोरखा सरकार कुटी ,कोरोंग और झुग के अधिकृत क्षेत्र से अपनी सेना हटा लेगी और युद्ध के दौरान बनाए गए बंदी सैनिकों ,भेड़ों और याको को तिब्बतियों को लौटा देगी।
बदले में तिब्बतियों को भी गोरखओं की तोपे और उन सिख युद्ध बंदियों को वापस करना है जो भोट और डोगरा शासक के बीच 1841 में हुए युद्ध में बंदी बनाए गए थे।

5) पांचों कुरा ( धारा 5 ) -

गोरखा को पहले कि तरह तिब्बत में एक नायक के स्थान पर भरदार ( दूत ) स्थित करने की अनुमति दी जाती है।

6) छैंयौं कुरा  ( धारा 6 ) -

गोरखा भरदार ( दूत ) को ल्हासा के जवाहरातों, गहनों , अनाजों और वस्त्रों के व्यापार के अधिकार के साथ कोठी      ( ट्रेड मार्ट ) की अनुमति दी जाती है।

7) सतौं कुरा  ( धारा 7 ) -

भोट में गोरखा भरदार को गोरखा और गोरखा कश्मीरियों के बीच झगड़ों को निपटाने का अधिकार दिया जाता है।

लेकिन गोरखा लोगों और भोटों के बीच झगड़ों का निपटारा दोनों सरकारों के प्रतिनिधि करेंगे। नेपाली भरदार को भोटों के परस्पर झगड़ों को निपटाने की अनुमति नहीं है।

8) आठौं कुरा  ( धारा 8 ) -

गोरखा और भोट दोनों सरकारें अपने क्षेत्र में बचकर घुस आए अपराधियों का विनिमय करेंगी।

9) नवौं कुरा  ( धारा 9 ) -

गोरखा व्यापारियों के जीवन और संपत्ति की रक्षा भोट सरकार करेगी।
यदि भोट लुटेरे गोरखालियों  की लूटी हुई वस्तुओं को पुनः लौटा नहीं सके तो लूट की भरपाई भोट सरकार करेगी।
गोरखा सरकार भी अपने क्षेत्र में इस दायित्व को निभाएगी  और गोरखा के देश में भोटो की संपत्ति  का पूर्ण संरक्षण देगी।

10) दसौं कुरा  ( धारा 10 ) -

गोरखा और भोट सरकार को उन लोगों के जान, माल को संरक्षण देना है जिन्होंने युद्ध काल में शत्रुओं की मदद की।

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