परशुराम जी के पिता की हत्या किसने और क्यों की ?

एक बार ऋषि जमदग्नि और रेणुका के सभी पुत्र बाहर गए थे। उसी समय अनूप देश के राजा कार्तवीर्य अर्जुन वहां आ गए।

ऋषि पत्नि रेणुका ने उनका आतिथ्य सत्कार किया। इतने आतिथ्य सत्कार के बाद भी राजा कार्तवीर्य अर्जुन ने इसका मान नहीं रखा और युद्ध के मद में चूर होकर उन्होंने आश्रम की गाय होमधेनु के बछड़े का अपहरण कर लिया। जब परशुराम जी आश्रम में आये तब उनके पिता (जमदग्नि) ने उन्हें सारी बातें बता दी।



 इससे वे बड़े ही क्रोध में सहस्त्र‌अर्जुन (कार्तवीर्य अर्जुन) के पास गये और युद्ध में सहस्त्र‌अर्जुन के हजारों हाथों को काट डाला।



इससे सहस्त्र‌अर्जुन के पुत्रों को बहुत क्रोध आया और एक दिन जब परशुराम जी आश्रय में नहीं थे। तब सहस्त्र‌अर्जुन के पुत्रों ने परशुराम जी के पिता जमदग्नि की हत्या कर दी। जब परशुराम जी वहां आए तब अपने पिता को मृत शरीर को पाकर वे बहुत दुखी हुए और विलाप करने लगे।


उन्होंने अपने पिता की सभी अंतिम विधियां की और संपूर्ण क्षत्रियों का संहार करने की प्रतिज्ञा ली। फिर परशुराम जी ने सहस्त्र‌अर्जुन (कार्तवीर्य अर्जुन) के सभी पुत्रों को मार डाला।


इसी प्रकार उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन कर दिया। तब ऋषि ऋचीक ने प्रकट होकर परशुराम जी को इस घोर कर्म से रोका।



तब परशुराम जी ने सारी पृथ्वी ब्राह्मणों को दान कर दी और स्वयं परशुराम जी महेंद्र पर्वत पर निवास करने लगे।

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