भीष्म ने अपने ही गुरु से युद्ध क्यूं किया ?
काशी नरेश की पुत्री अंबा जब शल्य नरेश के पास पहुंची तो शल्य नरेश ने अंबा के साथ विवाह करने से मना कर दिया और कहा कि , क्यूंकि भीष्म ने तुम्हे सभी राजाओं से युद्ध में जीता है। इसलिए तुम्हें नियम के अनुसार भीष्म से ही विवाह करना चाहिए।
इतने अपमान के बाद अंबा " हस्तिनापुर " लौट आई और सारी बात भीष्म को बताई और खुद से भीष्म को विवाह करने को कहा।
लेकिन भीष्म ने यह कह कर मना कर दिया कि मैं आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए वचनबद्ध हूं। यह सुनकर अंबा बहुत दुखी हो गई और वहां से भी चली गई।
इसके बाद वह तपस्वियों के आश्रम में पहुंची जहां अंबा की भेट उसके नाना होत्रवाहन से हुई। अंबा ने उन्हें सारी बात बताई। तब होत्रवाहन जी ने अंबा को परशुराम जी से सहायता मांगने को कहा क्योंकि वे भीष्म के गुरु थे।
संयोगवश वहां परशुराम जी के शिष्य अकृतवर्ण आ गए और उन्होंने बताया कि कल सुबह परशुराम जी आश्रम में पधारेंगे।
परशुराम जी के आने पर अम्बा ने उनसे अपनी सारी बात कही। परशुराम जी ने भीष्म से अंबा के साथ विवाह करने के लिए कहा ,पर भीष्म ने आदर के साथ परशुराम जी को मना कर दिया।
जिससे परशुराम जी क्रोधित हो उठे और भीष्म से कहा यदि तुम मेरी बात नहीं मानोगे तो तुम्हे मेरे साथ युद्ध करना पड़ेगा।
फिर दोनों का युद्ध कुरुक्षेत्र में आरंभ हुआ। बहुत भयंकर युद्ध के बाद ,नारद जी ने परशुराम जी से कहा
की आप दोनों में से किसी को भी मृत्यु इस समय उचित नहीं है। उनके समझाने पर परशुराम जी ने अपने शस्त्र रख दिए और भीष्म को आशीर्वाद देकर वहां से चले गए।

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