तिब्बत का इतिहास भाग -3
18) 676 ई. तिब्बतियों ने तिब्बत वापस लौटते समय
लूट के माल सहित " शान - ताऊ " पर चढ़ाई कर दी।
चीनी सम्राट ने फौरन आदेश देकर प्रधानमंत्री " ल्यू - जेन - कुई " को " ताओं - हो " सैनिकों और एक और कमांडर " ली - यू " के साथ " लियांग - चाऊ "," मी - कुंग " और " तान - लिंग " शहरों पर धावा बोल दिया।
19) बदले में " ली चींग - युआन " नामक एक नए जनरल ने " लांगजी " में तिब्बतयों पर आक्रमण करके उन्हें हरा दिया। वह " कोकोनोर " की तरफ बढ़ा,लेकिन यहां सेनाएं हार गई और उसे पीछे हटना पड़ा।
20) 710 ई. में तिब्बत के 36 वें राजा " वी - सौंड़त्सेन " को चीनी राजकुमारी " चिन - चेंग कुंग चू "
सौंपी दी गई ताकि इस सदभावना से चीन और तिब्बत की आपसी दुश्मनी खत्म हो जाये।
चीन से बाहर आकर एक " बारगी " राजकुमारी खुश नहीं थी और फरार होना चाहती थी। उसकी इस योजना की सूचना " शी - ताशी " दासों के एक मंत्री द्वारा चीनी सम्राट को दे दी गई।
चीनी सम्राट ने उसी समय उसे अपने और देश के हित में वही रहने की सलाह दी, जिसे उसने बेमन से मान लिया।
21) 732 ई. में अरब और तुर्क दूतों ने तिब्बती दरवाज़ा में सलामी (कर ) दी।
22) सम्राट " हसुआन - त्सूंग " ने फौजी हमले बढ़ा दिए। उसी समय चीन ने तिब्बत और पश्चिम में अरबों के बीच दरार पैदा करने की नाकाम कोशिश की और रणनिति के लिहाज से महत्वपूर्ण " बर - झा " ( जो 737 में गिलगित था) को तिब्बतीयों द्वारा लेने से रोकने को भी बेकार कोशिश की।
23) 741 ई. में शांति वार्ता की मांग के लिए और चीनी राजकुमारी " चीन - चेंग - कुंग - चू " की मृत्यु का समाचार देने एक तिब्बती मिशन चीनी दरबार में गया, लेकिन चीनी सम्राट ने किसी भी बात से इंकार कर दिया।
इसके बाद 400,000 तिब्बती सेना चीन में बढ़ी ," चेंग - फेंग " ने शहर पर हमला किया।
लेकिन " चांग - निंग " के पुल पर जनरल " शेंग - हशी - येह " ने उन्हें रोक दिया। तिब्बतियों ने बाद में " शीह - पुह " पर कब्जा कर लिया जो 748 ई. तक उनके कब्जे में रहा।
24) 8 वीं शताब्दी के पूरे उतरार्द्ध में चीन तथा तिब्बत के बीच लगातार सीमा तनाव बना रहा। 763 ई. राजा "ख्री सौंड देत्सन " के आदेश पर तिब्बती सेना ने ' तांग ' चीन के सुदूर पश्चिमी दो राज्यों " हो - हशी "और
लूंग्यू " पर कब्जा कर दिया।
उसी वर्ष चीन कि राजधानी " चांग आन " की तरफ बढ़कर तिब्बतियों ने " कुआंग - वू " के राजकुमार " चेंग - हंग " को सम्राट बना दिया, उसके बदले में अपने राज्य के लिए " ता - शी " की उपाधि चुनी ।
नए सम्राट को टक्वाईज (नीले - हरे वैदुर्य - मणि ) के अक्षरों की बनी टक्वाईज मोहर भेट की गई।
25) चीन में जब कोई भी नया सम्राट गद्दी पर बैठता,इसे नए साल की शुरुआत मानी जाती। इसलिए नए सम्राट को सिंहासन पर बैठा कर तिब्बतियों ने नए साल के शुरु होने की घोषणा की। 15 दिनों बाद वे चीन कि राजधानी से चले गए।
26) राजा " ख्री सौंड देत्सन " उन्होंने राज्य के लिए जो कुछ भी किया , पूर्ण सफलता से किया।
उन्होंने चीन के कई किलों और जिलों पर विजय पाई और अपने अधीन रखा।
चीनी सम्राट " हेहू - काई - वांग " और उनके मंत्री आतंकित हो गए। चीनियों ने कई वर्षों तक के लिए हर साल रेशम के 50,000 थान का कर देने की पेशकश की और वे कर देने को मजबूत थे।
27) राजा अपना अभियान " बाल्टिस्तान " तथा "गिलगित " के " ता - तंग - में भी ले गया और भारत में हिमालय की दक्षिणी भूमि बंगाल और बिहार पर चढ़ाई की।
28) उसी समय 775 ई.में " साम्ये " नाम से जाने जाने वाले पहले तिब्बती बौद्ध मठ " मिग्युर - लहुगी " 'दग्पई त्सुकला खण्ड ' ( मन्दिर जो बदलता नहीं , जो पूर्ण है ) की स्थापना की गई। इस वर्ष ही बौद्ध धर्म को तिब्बत का राज धर्म घोषित कर दिया गया।
29) अंत में 783 ई. में तिब्बत और चीन के बीच शांति वार्ता के फलस्वरूप " चींग - शुई " की संधि हुई जिसने इन दोनों देशों के बीच सीमा - रेखा निश्चित की।
30) तरीम घाटी ( पूर्वी तुर्किस्तान पर तिब्बत का आधिपत्य 692 ई. में खत्म हो गया,720 ई. में फिर कब्जा हुआ जो 860 ई. तक चला।
31) जीते गए चीनी क्षेत्र पर तिब्बत का आधिपत्य स्वीकार किया गया। चीन अपने छीने गए क्षेत्रों को दोबारा जीत पाने के हालत में नहीं था, क्योंकि इसका कारण बाकी बातों के अलावा 755 ई. में शुरू हुआ "एन - लू शान " का भयानक विद्रोह भी किया।
32) दक्षिण में बिहार और बंगाल का राजा " धर्मपाल " तिब्बतियों का दास बन गया , यही वजह है कि मुस्लिम लेखकों ने बंगाल की खाड़ी को " तिब्बती समुद्र कहा जाता है। "
33) तिब्बती सेना पश्चिम में पामीर ( 722 - 757 ई.) की तरफ बढ़ी और " ऑक्सस नदी " तक पहुंच गई। अपनी इतनी दूरी की निशानदेही के लिए " ऑक्सस नदी " के उत्तर में एक झील का नामकरण तिब्बतियों ने " अल - तुब्बत " ( यानी छोटी तिब्बती झील ) किया।
34) " ख्री सौंडदेत्सन " के समय में तिब्बत ने तुर्की का "कार्लग्स " , " शी - तो " और अन्य पश्चिमी तुर्की समेत कई सैनिक संधियां की।
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