तिब्बत और लद्दाख के मध्य शांति संधि क्या थी ?
तिग्मोसगांग में तिब्बत और लद्दाख के मध्य शांति संधि ( 1694 )
द्रक्पा (लाल संप्रदाय) सर्वज्ञ लामा मिफाम वांगपो के जो पहले के जन्मों मी सदा लद्दाख के राजाओं के संरक्षक लामा रहें। (पीढ़ी दर पीढ़ी) शांति सन्धि बनाने के लिए ल्हासा से ताशिश - गांग भेजें गए क्योंकि सभी के द्वारा लिए गए निर्णय को मानने से लद्दाखी राजा कभी इंकार नहीं कर सकते थे।
द्रक्पा (लाल संप्रदाय) सर्वज्ञ लामा मिफाम वांगपो के जो पहले के जन्मों मी सदा लद्दाख के राजाओं के संरक्षक लामा रहें। (पीढ़ी दर पीढ़ी) शांति सन्धि बनाने के लिए ल्हासा से ताशिश - गांग भेजें गए क्योंकि सभी के द्वारा लिए गए निर्णय को मानने से लद्दाखी राजा कभी इंकार नहीं कर सकते थे।
वह समझौता इस प्रकार है -
1) शुरू में जब राजा स्कयेद - ईदा - न्यिमां - गोन ने अपने तीनों पुत्रों को एक साम्राज्य दिया था,जो सीमाएं निर्धारित हुई थी वे ही कायम रहेंगे।
राजा अपने पुत्रों को जो क्षेत्र दिए वो इस प्रकार है -
3) लद्दाख दरबार के राजकीय व्यापारी को छोड़ कर ,लद्दाख के किसी अन्य व्यक्ति को रुदोक में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी।
२) केसर एक श्रांग ( या थूरश्रांगग ) के वजन का दस गुणा
३) यारकंद के सूती कपड़े - 6
४) बारीक सूती वस्त्र - 1
1) शुरू में जब राजा स्कयेद - ईदा - न्यिमां - गोन ने अपने तीनों पुत्रों को एक साम्राज्य दिया था,जो सीमाएं निर्धारित हुई थी वे ही कायम रहेंगे।
राजा अपने पुत्रों को जो क्षेत्र दिए वो इस प्रकार है -
१) सबसे बड़े पुत्र को -
अब लद्दाख और पुरिग नाम से जाने वाले देश जिसका प्रसार पूर्व में हैनले से पश्चिम में जोजिला दर्रे तक है और जिसमें रूदोक और गोग्पो स्वर्ण मंडल भी शामिल है।
२) दूसरे पुत्र को -
गू गे , पुरांग और अन्य छोटे जिले ।
३) तीसरे पुत्र को -
जांस्कार स्पिति और अन्य छोटे जिले ।
2) न्गारीस - खोरसुम ऊन व्यापार क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति सिर्फ लद्दाखीयों को दी जाएगी।
3) लद्दाख दरबार के राजकीय व्यापारी को छोड़ कर ,लद्दाख के किसी अन्य व्यक्ति को रुदोक में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी।
4) देयवा झुंग (ल्हासा के महान लामा) के द्वारा एक राजकीय व्यापारी हर साल चाय से लदे 200 घोड़ों समेत ल्हासा से लद्दाख भेजा जाएगा।
5) हर तीसरे वर्ष " लो छाक " को उपहारों के साथ लेह से ल्हासा भेजा जाएगा। साधारण लामाओं के लिए उपहारों की गुणवत्ता एवं कीमत के संबंध में कोई विशेष बात नहीं है पर लाबरांग छाकजोट इस प्रकार वस्तुएं दी जानी चाहिए जैसे -
१) स्वर्ण धुलि - 1 झो के वजन का दस गुणा
२) केसर एक श्रांग ( या थूरश्रांगग ) के वजन का दस गुणा
३) यारकंद के सूती कपड़े - 6
४) बारीक सूती वस्त्र - 1
" लो छाक " मिशन के सदस्य जब तक ल्हासा में रहेंगे उन्हें राशन मुफ्त मिलेगा ,साथ ही यात्रा के लिए उन्हें 200 माल ढोने वाले पशु ,25 सवारी वाले ट्टू और 10 नौकर दिए जाएंगे।
यात्रा के जिस हिस्सों में आबादी नहीं है वहां मिशन के इस्तेमाल के लिए तम्बू भी दिए जाएंगे।
6) न्गारीस - खोरसुम देश सर्वज्ञ द्रुक्पा लामा मीफाम - वांगपो को दिया जाएगा और बदले में देयवा झुग लद्दाख के राजा को तीन जिले देगा ( वृहत तिब्बत में )
7) न्गारीस - खोरसुम के राजस्व के बटर- दीप प्रज्वलन की कीमत चुकाने ल्हासा में होने वाले धार्मिक समारोहों में व्यय करने के उद्देश्य से अलग रखा जाएगा।
8) लेकिन लद्दाख का राजा ,मोन्यसर (मिन्सार) गांव (या जिला) जो न्गारीस - खोरसुम में है ,अपने अधीन में रखता है ताकि वह वहां स्वतंत्रता से रहता रहे और वह उस क्षेत्र से प्राप्त राजस्व को कांड - री (कैलाश पर्वत) के बटर- दीप , और मानसरोवर की पवित्र झील व राकस ताल के देख रेख हेतु खर्च के लिए रख सकता है।
मानसरोव देयवा झुंग
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