तिब्बतियों और चीनियों के बीच तीन सूत्रीय संधि क्या है ?

चीनियों और तिब्बतियों के बीच संधि 12 अगस्त 1912 तीन सूत्री प्रस्तावों पर चर्चा करने के लिए गोरखा साक्षी की उपस्तिथि में चीनी और तिब्बती प्रतिनिधि मिले।


प्रस्ताव के 6 वें माह के 29 वें दिन को "अम्बान लेन" और " चुंग " द्वारा लिखे गए पत्र के जवाब के रूप में दलाई लामा द्वारा स्वीकार किया गया था।


30 तारीख को पक्षों ने सावधानी पूर्वक बातचीत की और त्रि सूत्री प्रस्ताव को चीनी, तिब्बती और नेपाली भाषाओं में पास कर उस पर हस्ताक्षर करने और मुहर लगाने का निर्णय लिया।

1) पहला सूत्र -

ल्हासा में " दाब्सी " और सेलिंग क्षेत्रों में 'फिल्ड गन ' "मैक्सिम गन " समेत जितने भी शस्त्र व साजो सामान चीनियों के कब्जे में है। उन सब को दोनों पक्षों और साक्षी की उपस्थिति में सीलबंद करके तिब्बत सरकार को सौंप दिया जाएगा।


चीनी अधिकारियों और सैनिकों के जाने से पहले, 15 दिनों के भीतर सभी हथियार व साजो सामान " याब्शी लांग - दुन मकान में रख दिए जाएंगे गोलियां और बारूद डोरिंग हाऊस में इकद्दी और जमा की जाएंगी।

15 दिनों की सीमा के समाप्ति पर सभी हथियार "डोरिंग हाऊस " में रख दिए जाएंगे और साक्षी के रूप में गोरखा दूत वहां की सुरक्षा व्यवस्था करेंगे।

2) दूसरा सूत्र -

15 दिनों के भीतर चीनी अधिकारी और सैनिक तिब्बत छोड़ देंगे। तीन किश्तों में प्रस्थान कि उनके द्वारा दी गई तिथियों के अनुसार तिब्बती हर टुकड़ी के साथ अपना एक अधिकारी न्युक्ति करेंगे और उसके लिए मालवाहक पशुओं तथा सवारी के लिए टट्टुओं के आपूर्ति की व्यवस्था करेंगे।

उनसे स्थानीय कीमतों के अनुसार पर्याप्त भुकतान लेकर तिब्बत में पढ़ाव स्थलों से सीमा तक चीनियों को राशन 
जैसे - चावल, आटा ,त्सम्पा , मांस , मक्खन व चाय की आपूर्ति की जाएगी।


मालवाहक पशुओं तथा सवारी के लिए टट्टुओं की व्यवस्था बिना देरी के की जाएगी। चीनी लोग जबरदस्ती उन पशुओं को सीमा के पार नहीं ले जाएंगे।

3) तीसरा सूत्र -

दोनों प्रतिनिधि शस्त्रास्त्र रखने के उद्देश्य से " याब्शी हाऊस " से समस्त चीनी अधिकारियों और सैनिकों को " डोरिंग हाऊस " से तिब्बती सैनिकों को हटा देंगे।


ल्हासा के " दाब्सी " और सेलिंग क्षेत्र में चीनी सरकार के कब्जे में को भी शस्त्रास्त्र , चीन के निजी व्यापारियों के पास भी जो  शस्त्रास्त्र है उन्हें "अम्बांग लेन " व "चूंग " के द्वारा 6 वें माह के 29 वें दिन को लिखे गए पत्र के अनुसार 7 वें माह की पहली तिथि को दोनों पक्षों एवं साक्षी के समक्ष एक सूची के साथ पेश किया जाएगा।


शस्त्रास्त्रों का कोई भी हिस्सा बेच दिया, छिपाया या फेका नहीं जाएगा। साक्षियों की सलाह के अनुसार अम्बांग लेन " और " चूंग " की अपनी सुरक्षा के लिए 60 राइफल व गोली सिक्का लेकर चलने की अनुमति दी जाएगी।

बाकी सभी शस्त्रास्त्र " डोरिंग हाऊस " व " याब्शी हाऊस " में रखे जाएंगे,जिन्हें दोनों प्रतिनिधियों व साक्षियों द्वारा सीबंद किया जाएगा।

दोनों प्रतिनिधि व साक्षि उपरोक्त वर्णन के अनुसार गार्ड देने की व्यवस्था करेंगे। सभी शस्त्रास्त्र ,फिल्ड गन, मैक्सिम गन जिन्हें ल्हासा " दाब्सी " सेलिंग से चीनी सरकार व निजी व्यापारियों से इकट्ठा किया गया है बिना दिए, बेचे , छिपाए या छोड़े हुए जमा किए जाएंगे।

निजी चीनी व्यापारियों के पास समस्त शास्त्रों की बाकायदा सूची बनाई जाएगी और उनकी वापसी संबंधी तथ्यों पर प्रतिनिधि व साक्षी बातचीत करेंगे।

यदि कोई पक्ष दिए हुए नियमों का अतिक्रमण करता है तो दोनों पक्षों व साक्षियों द्वारा हस्ताक्षरित व मुहरबद्ध इस संधि को निष्क्रिय माना जाएगा।

दलाई लामा के संयुक्त प्रतिनिधियों की मुहर

शेरता थुतुल और शेडोन तांग्याल
अम्बांग लेन  और चूंग के प्रतिनिधियों की मुहरें लुचांग क्रांग लुंगरिन ,युलजी लूं  लांगरिन,यूं योन क्रेफू ह‌ई क्रू ,थुंग क्रिकुंग बुहु ह‌ई , क्रेफू लांग चिऊजिन , श्रू फुन,लू लू कोन कोन, न्गांन ख्रू

पांच श्रियो के साक्षियों के मुहर 

गोरखा दरबार की प्रतिनिधि 

मेजर कैप्टन जीत बहादुर खतरी छेतरी , लेफ्टिनेट लाल बहादुर बसन्यात छेतरी, दिथ्था कुल प्रसाद उपाध्याय, सूबेदार रत्न गंभीर सिंह खत्री छेतरी

जल मूशक वर्ष के 6 वें महीने का 30 वां दिन ( 12 अगस्त 1912 )

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