चंद्रशेखर तिवारी " आज़ाद " भाग - 4
चंद्रशेखर से आजाद
सन् 1921 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए आंदोलन में आज़ाद ने भी भाग लिया। वे झण्डा लेकर "गांधी जी की जय " बोलते हुए चल रहे थे और पुलिस द्वारा पकड़े गए। खारेघाट आई. सी. एस. अदालत में उनकी पेशी हुई।
खारेघाट ने उनका नाम पूछा ? तब चन्द्रशेखर ने उत्तर दिया - आज़ाद।
पिता का नाम,उन्होंने कहा - स्वाधीन।
और रहने का पता जेलखाना।
खारेघाट ने इन्हें 15 बेतों की सजा दी। उनको जेल ले जाया गया और (15 बेत = एक डंडा जिसे पानी में भिगो कर रखा जाता था।) मारी गई। पहले 10 बेतों तक तो वो वन्दे मातरम् कहते रहें, पर 11 वीं बेत से उनके मुंह से गांधी जी की जय निकला।
तभी से उनका नाम चंद्रशेखर आजाद पड़ गया।
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