चंद्रशेखर तिवारी " आज़ाद " भाग - 6
जौहरी की दुकान में ठगी
उस समय आजाद दिल्ली में थे। उन्होंने दल के लिए अपने एक मित्र से चार हजार रूपये मांगे पर उनके मित्र के पास पैसे नहीं थे। आजाद के बहुत आग्रह करने पर उनके मित्र ने एक पहचानने वाले से आजाद को चार हजार रुपए दिलवाए , जिसे 6 महिने में वापस करना था।
बहुत कोशिशों के बाद भी जब वापस करने के लिए पैसे का इंतजाम नहीं हो सका, तब आज़ाद और उनके साथियों ने एक जौहरी के दुकान गये। आजाद पहले अंदर चले गए और कुछ देर बाद इशारे से अपने साथियों को भी बुला लिया।
फिर सभी वहां से 15 हजार रूपए लेकर निकल गये। फिर इन्ही रुपयों में से चार हजार रुपए की उधार राशि को वापस किया गया।
गवर्नर का सेकेट्री बनकर ठगी
रात लगभग 9 बजे सेठ दिलसुख राय अपने खातों की जांच कर रहे थे। तभी उनके नौकर ने आकर कहा की कोई साहब आपसे मिलने आए है।
सेठ ने मुनीम को उनसे मिलने को भेजा और मुनीम ने उसने मिलने के बाद लौट कर बताया कि गवर्नर साहब के सैकेट्री आये थे उनके साथ उनका एक बाबू और चपरासी भी था।
वे सभी उसी समय सेठजी से मिलना चाहते थे। सेठ जी तुरन्त उसने मिलने पहुंचे और हाथ जोड़कर आने का कारण पुछा।
उन्होंने ने कहा कि सरकार के पास धन की कमी हो गई है और वे बड़े - बड़े धनवान लोगों से चंदा मांग रही है। मैं इसलिए गवर्नर साहब की ओर से आपसे चंदा मांगने आया हूं।
उन्होंने सेठ जी से 15 हजार रूपए देने को कहा, सेठ जी कुछ हिचकिचाएं तो उन्होंने चापलूसी करना शुरू कर दिया और कहा कि अगले साल सरकार आपको रायबहादुर खिताब देने की सोच रही है।
सेठ जी खुश हो गए और पैसे दे दिए। सभी के वहां से जानें के कुछ समय बाद वहां पुलिस आई। पुलिस के पूछने पर सेठ जी ने सारी बातें पुलिस को बता दी। तब पुलिस ने उन्हें बताया कि आप ठगे गए है सरकार ने कोई चंदा नहीं मांगा।
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