सूफी अम्बा प्रसाद भाग - 4

ईरान यात्रा

सन् 1909 में सूफी जी ने " पेशवा " अखबार निकाला। उन्हीं दिनों बंगाल में क्रांतिकारी आंदोलन ने जोर पकड़ा। सरकार को डर था कि कहीं पंजाब में भी बंगाल जैसी स्थिति न हो। इसलिए वे सूफी जी को गिरफ्तार करना चाहते थे।


इसके बाद सूफी जी, सरदार अजीत सिंह और जिया - उल - हक ईरान चले गए। वहां पहुंचकर जिया - उल - हक की नियत बदल गई, वे सूफी जी को पकड़वा कर सरकार से ईनाम लेना चाहते थे। सूफी जी को शक हुआ और उन्होंने इन्हें ही आगे भेज दिया और पुलिस के द्वारा पकड़वा दिया। 

फिर वहां से सूफी जी ने " आबे हयात " नामक पत्र निकाला और राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने लगे। सरदार साहिब के टर्की चले जाने पर वहां का सारा काम सूफी जी ने ही संभाला और फिर वहां आकर सूफी के नाम से प्रसिद्ध हुए। 

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