खुदीराम बोस भाग - 6
खुदीराम से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें !
1) खुदीराम से पहले उनके पिता के दो बेटे और हुए थे, पर एक तो जन्म लेते ही गुजर गया और दूसरे की 6 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई।
इसलिए खुदीराम के पैदा होने पर ,उनके पिता को इस बात की चिंता हुई की कहीं उनकेे बेटे के साथ कुछ अनर्थ न हो जाए। तब एक बुजुर्ग महिला "अनुपमा चौधरी" ने कहा," पुराने जमाने में जब ऐसा होता था तो बच्चे को किसी चीज़ के बदले किसी और को बेच दिया जाता था और फिर बच्चे को पालते थे।"
इसलिए उनकी बड़ी बहन अपरूपा ने तीन मुट्ठी खुद्दी (चावल के टूटे दाने) में अपने भाई को खरीदा और उसे पाला।
2) मिदनापुर के जंगलों में "कसाई " नदी के किनारे एक शिव मंदिर था। जिसकी मान्यता थी, यदि कोई इस मंदिर में कोई भी कामना की जाय, वह अवश्य ही पूरी होती है। खुदीराम अपने भांजे के साथ इस मंदिर में गए और दो दिनों तक मंदिर के सामने लेटे रहे (मंदिर में लेट कर मन्नत मांगने की प्रथा थी)।
जब सत्येंद्रनाथ को इसकी जानकारी मिली तो, वे वहां गए और देखा कि खुदीराम के शरीर पर कई सांप रेंग रहे थे। उन्होंने खुदीराम को उठाया और उसने पुछा की उनकी कामना क्या है?
खुदीराम ने कहा ," मैं मातृविहीन हूं, मैं अपने मातृभूमि को अपनी मां समझ कर अपने प्राण न्यौछावर करना चाहता हूं।"
3) खुदीराम बहुत ही नर्म दिल थे। एक बार उनके घर एक भिखारी आया, उस समय बहुत ठंड थी। उन्होंने उसे अपने पिता का "पश्मीना दुशाला" दे दिया, जो "राजा नारजोल " ने उनके पिता के दुसरे विवाह में तोहफे में दिया था।
उनकी बहन ने कहा कि तुम्हें क्या लगता है कि वो इसे पहनेगा, ऐसा नहीं है वो इसे बेच देगा।
खुदीराम ने कहा ," तब तो और अच्छा है, ऐसी अवस्था में तो उसके परिवार के रोटी के कुछ पैसे आ जायेंगे।"
4) जब खुदीराम सातवीं कक्षा में पढ़ते थे। तब तत्कालीन गवर्नर मिदनापुर आए,उस समय जिम्नास्टिक का प्रदर्शन हुआ। तब गवर्नर को खुदीराम का प्रदर्शन इतना पसंद आया की उन्होंने खुदीराम के स्कूल के प्रिंसिपल से खुदीराम की फीस माफ करने का आग्रह किया और खुदीराम के " ड्रिल मास्टर" रामचन्द्र सेन की प्रति माह तनख्वाह में 5 रूपए भी बढ़ा दिए।
5) खुदीराम ने प्रण लिया था कि जब तक देश आजाद नहीं हो जाता वे जूते नहीं पहनेंगे। उन्होंने अपना ये प्रण तब तोड़ा जब उन्होंने "डी. एच. किंग्जफोर्ट" को मारने के लिए उसकी बग्गी पर बम फेंकने के लिए मुजफ्फरपुर गए थे।
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