चंद्रशेखर तिवारी " आज़ाद " भाग - 3
चंद्रशेखर , मठ के महंत के शिष्य बने !
गाजीपुर में साधुओं का एक मठ था। मठ के महंत के पास अपार धन होने की सूचना आज़ाद को मिली थी। महंत बेहद वृद्ध और रोगी थे। आज़ाद ने अपने साथियों के साथ मिलकर योजना बनायी की क्रांतिकारियों का कोई एक सदस्य उस मठ में महंत जी का शिष्य बनकर जाये और उनकी मृत्यु होने पर वहां से धन लेकर फरार हो जाए। जोकि क्रान्तिकारियों के काम आ सके।
आजाद ने मठ में रहकर वहां महन्त की सेवा की। महन्त की मृत्यु तो नहीं हुई उल्टा आजाद की सेवा से वे स्वस्थ हो गए। तब आजाद ने मठ छोड़ दिया और वापस लौट आए।
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