प्रफुल्ल चाकी भाग - 5
प्रफुल्ल चाकी की गिरफ्तारी
पुलिस ने प्रफुल्ल और खुदीराम की गिरफ्तारी पर 5 हजार का ईनाम भी रखा था।
प्रफुल्ल 1 मई,1908 को दोपहर में समस्तीपुर स्टेशन पहुंचे, उन्होंने मोकामा घाट का दूसरे दर्जे का टिकट खरीदा। प्रफुल्ल ने नए कपड़े और जूते पहन रखे थे, जो उन्होंने सुबह ही बाजार से खरीदे थे।
प्रफुल्ल गाड़ी में बैठ गए, उसी डिब्बे में नंदलाल बनर्जी नाम का बंगाल पुलिस का दरोगा " सिंह भूमि " ड्यूटी पर जा रहा था। वो उस दिन छुट्टी पर था।
उसे प्रफुल्ल पर शक हुआ। नंदलाल बनर्जी ने प्रफुल्ल से बांग्ला भाषा में बातचीत की। नंदलाल बनर्जी ने अगले स्टेशन पर उतरकर पुलिस को टेलीग्राम कर दिया। "मोकामा " स्टेशन पर पुलिस प्रफुल्ल को गिरफ्तार करने के लिए मौजूद थी।
प्रफुल्ल शारीरिक रूप से बहुत मज़बूत थे, उसने पुलिस वालों को धक्का दिया और भागने लगा, लेकिन जब उसे लगा की अब वो पकड़ा जाएगा। वह गिरफ्तार नहीं होना चाहता था। प्रफुल्ल चाकी ने अपनी पिस्तौल से खुद को गोली मार ली। यह घटना 1 मई 1908 के शाम 4 बजे की है।
अंग्रेज सरकार ने प्रफुल्ल का सिर काटकर पहचान के लिए कलकत्ता भेजा, क्योंकि प्रफुल्ल ने नंदलाल को अपना नाम "दिनेश चंद्र राय" बताया था, इसलिए पुलिस को इनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। बाद में पता चला कि रंगपुर राष्ट्रीय स्कूल का प्रिय विद्यार्थी प्रफुल्ल कुमार चाकी है।
सरकार ने दारोगा " नंदलाल बनर्जी" को 1000 का नकद पुरस्कार दिया और ईनाम देने के लिए मुजफ्फरपुर में 10 मई 1908 को एक सरकारी आयोजन किया गया।
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