महाभारत में, भीष्म ने राजकुमारियों का हरण क्यों किया ?
काशी नरेश की तीन कन्याएं थी। उनका नाम अम्बा, अंबिका और अंबालिका था।
परंतु भीष्म को वहां देखकर सभी उनका और उनकी विवाह न करने की प्रतिज्ञा का मजाक बनाने लगे।
काशी नरेश ने अपनी तीनों कन्याओं का स्वयंवर रचाया, परंतु हस्तिनापुर आमंत्रण नहीं भिजवाया।
इस बात से क्रोधित होकर भीष्म माता सत्यवती की आज्ञा लेकर काशी के स्वयंवर सभा में गए।
परंतु भीष्म को वहां देखकर सभी उनका और उनकी विवाह न करने की प्रतिज्ञा का मजाक बनाने लगे।
तब भीष्म ने कहा कि - काशी नरेश मैं आपकी तीनों कन्याओं को हस्तिनापुर के महाराज विचित्रवीर्य से विवाह के लिए ले जा रहा हूं।
यदि इस सभा में उपस्थित किसी को भी इससे कोई आपत्ती है तो, वो मुझे युद्ध में हराकर राजकुमारियों को ले जाएं।
लेकिन भीष्म से कोई भी जीत नहीं पाया और वो काशी नरेश की कन्याओं को लेकर हस्तिनापुर पहुंचे।
तब काशी नरेश की बड़ी कन्या अम्बा ने माता सत्यवती और भीष्म से कहा कि मैं शल्य नरेश को अपना पति मान चुकी हूं और स्वयंवर में भी मैं उन्हें ही चुनने वाली थी।
यह बात सुनकर माता सत्यवती और भीष्म ने ब्राह्मणों से सलाह लेकर अंबा को शल्य नरेश के पास भेज दिया और बाकी दो कन्याओं अंबिका और अंबालिका के साथ विचित्रवीर्य का विवाह कर दिया।

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