बाण लगने के 58 दिनों बाद तक जीवित क्यों रहें, भीष्म पितामह ?
अर्जुन के बाण लगने के बाद भीष्म पितामह बाणों कि शय्या पर 58 दिन तक रहें।
भीष्म पितामह को जब अर्जुन ने बाण मारा तब उसके बाद ,उन्होंने अपने प्राण नहीं त्यागे। क्योंकि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान था।
भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर से कहा कि -
" इस समय चंद्रमास के अनुसार माघ का महीना है। इसका यह शुक्ल पक्ष चल रहा है। जिसका एक भाग बीत चुका है और तीन भाग बाकी है। "
जिस समय उन्हें बाण लगा उस समय सूर्य दक्षिणायन था उन्हें पता था कि सूर्य दक्षिणायन होने पर यदि प्राण त्यागा जाए,तो सतगती प्राप्त नहीं होती।
इसलिए उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा की और जब सूर्य उत्तरायण हुआ तब ही उन्होंने अपने प्राण त्यागे।
भीष्म पितामह को जब अर्जुन ने बाण मारा तब उसके बाद ,उन्होंने अपने प्राण नहीं त्यागे। क्योंकि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान था।
भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर से कहा कि -
" इस समय चंद्रमास के अनुसार माघ का महीना है। इसका यह शुक्ल पक्ष चल रहा है। जिसका एक भाग बीत चुका है और तीन भाग बाकी है। "
जिस समय उन्हें बाण लगा उस समय सूर्य दक्षिणायन था उन्हें पता था कि सूर्य दक्षिणायन होने पर यदि प्राण त्यागा जाए,तो सतगती प्राप्त नहीं होती।
इसलिए उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा की और जब सूर्य उत्तरायण हुआ तब ही उन्होंने अपने प्राण त्यागे।

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