पुरुवंश का संपूर्ण वर्णन भाग - 3
39) परीक्षित -
इनकी पत्नी का नाम सुयशा और पुत्र का नाम भीमसेन था।
40) भीमसेन -
इनकी पत्नी का नाम कुमारी और उनके पुत्र का नाम प्रतिश्वा था।41) प्रतिश्वा -
प्रतिश्वा के पुत्र का नाम प्रतीक था।
42) प्रतीक -
इनकी पत्नी का नाम सुनंदा जिनसे तीन पुत्र देवापी ,शांतनु और बाह्रीप थे।
देवापी बचपन में ही तपस्या करने चले गए, तब शांतनु राजा बने।
43) शांतनु -
महाराज शांतनु के दो विवाह हुए थे।पहली पत्नी का नाम गंगा और उनके पुत्र का नाम देवव्रत (भीष्म) था।
दूसरी पत्नी का नाम सत्यवती था। उनके दो पुत्र थे। विचित्र वीर्य और चित्रांगद।
चित्रांगद बचपन में ही एक गंधर्व से युद्ध में मारे गए।
44) विचित्रविर्य -
विचित्रविर्य की दो पत्नियां थी अम्बिका और अंबालिका।
उनके कोई भी संतान होने से पहले विचित्रविर्य की मृत्यु हो गई ,तब सत्यवती ने " व्यास जी " का स्मरण किया और उनके आने पर कहा कि तुम्हारा भाई बिना संतान के ही मृत्यु को प्राप्त हो गया है। तुम उसके वंश की रक्षा करो।
अपनी माता की आज्ञा से वेदव्यास जी ने अम्बिका से धृतराष्ट्र अंबालिका से पांडु और उनकी दासी से विदूर को उत्पन्न किया।
45) धृतराष्ट्र -
धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी से 100 पुत्र और एक पुत्री का जन्म हुआ।
उनमें से चार के नाम - दुर्योधन, दुशासन, विकर्ण और चित्रसेन आदि
धृतराष्ट्र का युयुत्सु नामक एक और भी पुत्र था जिसका जन्म एक दासी से हुआ था।
46) पांडु -
पांडु की दो पत्नियां थी, कुंती और माद्री।कुंती के तीन पुत्र थे - युधिष्ठिर,भीमसेन और अर्जुन।
माद्री के दो पुत्र थे - नकुल और सहदेव।
47) युधिष्ठिर -
पत्नी पुत्र
द्रौपदी - प्रतिविन्ध्य
देविका - यौधेय
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