महाभारत में किसको क्या श्राप मिला ? - भाग 2

3) ऋषि किंदम का पांडु को श्राप

एक बार महाराज पांडु वन में शिकार के लिए गए। वहां एक हिरन और हिरनी मैथुन कर रहे थे। इसी अवस्था में पांडु ने उन पर बाण चलाया।

घायल अवस्था में हिरन ने कहा - मैं ऋषि किंदम हुं। मुझे ऋषि के रूप संभोग करने में शर्म आ रही थी इसीलिए मैं और मेरी पत्नी इस रूप में है।




जिस अवस्था में आप ने हमें बाण मारा है उस तरह तो कोई अपने शत्रु को भी नहीं मारता।

मैं किंदम आपको श्राप देता हुं कि - " जब भी आप अपनी पत्नी के साथ सहवास करेगें, तब उसी अवस्था में आपकी मृत्यु हो जाएगी और आपकी वह पत्नी सती हो जाएगी। "

4) महर्षि मैत्रेय जी का दुर्योधन को श्राप

एक बार जब मैत्रेय जी हस्तिनापुर आये। तब उन्होंने धृतराष्ट्र से कहा कि पांडवो के साथ युद्ध का विचार छोड़ दो और सभी मिलकर रहो।


जिस समय मैत्रेय जी ऐसा कह रहे थे उस समय दुर्योधन अपने पैर से ज़मीन कुरेेेदने लगा और अपने हाथ से ,अपनी जांघ पर ताल ठोकने लगा।

दुर्योधन के ऐसे व्यवहार से क्रोधित होकर मैत्रेय जी ने उसे श्राप दिया कि -
" कौरवों और पांडवों में घोर युद्ध होगा और भीमसेन अपनी गदा से तेरी जांघ तोड़ेगा। "

5) जनमेजय और उनके भाइयों को एक कुत्ते के कारण श्राप

जनमेजय के तीन भाई थे। क्षुतसेन, उग्रसेन और भीमसेन।

जनमेजय और उनके भाई कुरुक्षेत्र में लंबा यज्ञ कर रहे थे। यज्ञ के समय वहां एक कुत्ता आ गया। तब जनमेजय और उनके भाइयों ने उसे मार पिटकर भगा दिया। वह रोता हुआ अपनी मां के पास गया और अपनी मां (देवताओं कि सरमा नामकी कूतिया थी)  को सारी बातें बताई।



तब उसकी मां ने उससे पूछा कि क्या तुमने वहां की किसी चीज़ को छुआ तो उसने जवाब दिया - नहीं ।

फिर उसकी मां उस जगह गई और जनमेजय से पूछा कि जब मेरे पुत्र ने कोई गलती नहीं की है तो उसे क्यों मारा।

किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। तब गुस्से में आकर उसकी मां ने जनमेजय और और उसके भाइयों को श्राप दिया कि -

' तुमने बिना किसी अपराध के मेरे पुत्र को मारा है तुम पर भी अचानक कोई विपत्ति आ जाएगी। "


Comments

Popular posts from this blog

युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ

किस ऋषि का विवाह 50 राजकुमारियों से हुआ था ?

पुराणों में इंद्र, सप्तऋषि मनु और मन्वन्तर क्या है ?