महाभारत में,दुर्योधन का जन्म, गर्भ धारण के चार सालों बाद क्यों हुआ ?

एक बार महर्षि व्यास, " हस्तिनापुर " में आए। गांधारी ने महर्षि व्यास की खूब सेवा की ,तब उन्होंने गांधारी से खुश होकर उन्हें वर मांगने को कहा - तब गांधारी ने उनसे अपने पति जैसे बलवान 100 पुत्र होने का वर मांगा।



उसके बाद जब गांधारी गर्भवती हुई तब 2 वर्ष बाद तक उनका गर्भ उनके पेट में ही रुका रहा। इस बीच में कुंती के गर्भ से युधिष्ठिर का जन्म हो चुका था।


गांधारी इन सब से घबरा गई और धृतराष्ट्र को बिना बताए ही गर्भ को गिरा दिया।

गांधारी के पेट से लोहे के गोले के समान एक मांस पिण्ड निकला।

व्यास जी अपनी योगदृष्टि से यह सब जानकर वहां पहुंच गए और गांधारी को ऐसा करने से रोका। फिर उन्होंने गांधारी से कहा कि तुम कुण्ड बनवाओं और उन्हें घी से भर दो और सुरक्षित स्थान पर इनको रखने की व्यवस्था भी कर दो।


फिर व्यास जी ने गांधारी को उस पिंड पर ठंडा पानी छिड़कने को कहा। उस पिंड पर जल छिड़कने पर उस पिंड के 101 टुकड़े हो गए।


फिर व्यास जी के आज्ञानुसार उन सभी टुकड़ों को कुंडो में रख देने को कहा और आज्ञा दी कि इसे 2 वर्ष बाद ही खोलना।


समय आने पर उन्ही मांस पिंडो में से दुर्योधन और फिर 2 वर्ष बाद हर दिन बाकी सब कौरव पैदा हुए।

100 टुकड़ों में से जो एक अधिक टुकड़ा था उससे एक कन्या पैदा हुई जिसका नाम दुश्शाला था।

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