महाभारत में,बूढ़े होने का श्राप किसको मिला था ?

शुक्राचार्य का ययाति को श्राप

एक बार दैत्य गुरु कि पुत्री देवयानी अपनी दासियों और वृषपर्वा कि पुत्री शर्मिष्ठा (जो कि उसकी दासी थी) के साथ वन में विहार के लिए गई थी।

दुर्भाग्यवश देवयानी कुएं में गिर गई। तब राजा ययाति ने देवयानी को कुएं से बाहर निकाला।

देवयानी राजा पर मोहित हो गई और उनसे विवाह का प्रस्ताव रखा। तब राजा ने कहा कि मै क्षत्रिय हूं। आपके पिता मेरे साथ आपका विवाह करने के लिए राजी नहीं होंगे।

तब " देवयानी " ययाति को अपने पिता के पास ले गई और पूरी बात बताई। सब कुछ जानकर देवयानी के पिता ने कहा कि मैं अपनी कन्या देवयानी को उनकी सभी दासियों और शर्मिष्ठा के साथ तुम्हे सौंपता हूं।

लेकिन मेरी चेतावनी है कि तुम (ययाति) शर्मिष्ठा
को कभी मेरी पुत्री का स्थान मत देना।

कुछ वर्ष बाद देवयानी गर्भवती हुई ,तब राजा ने शर्मिष्ठा के आग्रह पर उनसे भी विवाह कर लिया। राजा से देवयानी को दो और शर्मिष्ठा को तीन संताने हुई।



एक दिन देवयानी को सारी बात बता चल गई। उसने राजा और शर्मिष्ठा को बुरा भला कहा और अपने पिता के पास जाकर सारी बात बता दी।

तब दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने क्रोध में कहा कि तुमने मर्यादा का उलंघन किया है।

 इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि -

" तुम बूढ़े हो जाओ"


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